नोएडा स्पोर्ट्स सिटी: CBI जांच के बीच अटकी रजिस्ट्री, बायर्स की बढ़ी मुश्किलें

Noida News: नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में चल रही CBI जांच ने यहाँ घर खरीदने वाले हज़ारों बायर्स की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। करीब 9,000 करोड़ रुपये के इस कथित घोटाले की जांच के चलते, जहाँ एक तरफ फ्लैटों की रजिस्ट्री रुकी हुई है, वहीं दूसरी ओर फ्लैटों की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इस स्थिति ने घर बायर्स को अनिश्चितता के भंवर में फँसा दिया है।

क्यों हो रही है CBI जांच?

यह पूरा मामला नोएडा अथॉरिटी द्वारा बिल्डरों को आवंटित की गई ज़मीन से जुड़ा है। स्पोर्ट्स सिटी योजना के तहत, बिल्डरों को आवंटित ज़मीन के 70% हिस्से पर विश्वस्तरीय खेल सुविधाएँ विकसित करनी थीं और बाकी 30% पर आवासीय परियोजनाएँ बनानी थीं। हालाँकि, CAG की एक रिपोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह खुलासा हुआ कि कई बिल्डरों ने इस शर्त का उल्लंघन किया। उन्होंने खेल सुविधाएँ विकसित करने के बजाय ज़्यादातर ज़मीन पर आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट बना लिए।

CBI ने इस मामले में कुछ बड़े बिल्डरों और नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। आरोप है कि बिल्डरों ने अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ मिलकर नियमों को ताक पर रखा, जिससे सरकार को हज़ारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस जाँच के चलते, नोएडा अथॉरिटी ने इन परियोजनाओं में रजिस्ट्री और कंप्लीशन सर्टिफिकेट देने पर रोक लगा दी है।

बायर्स की चिंता बढने के साथ बढ रही कीमतें

इस घोटाले की वजह से करीब 30,000 फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री अटकी हुई है। कई खरीदार ऐसे हैं, जो पिछले कई सालों से अपने फ्लैट में रह रहे हैं, लेकिन मालिकाना हक़ नहीं मिलने से वे कानूनी रूप से परेशान हैं। रजिस्ट्री न होने के कारण वे न तो अपने फ्लैट बेच सकते हैं और न ही उन पर कोई लोन ले सकते हैं।

दूसरी ओर, इस अनिश्चितता के बावजूद, इन इलाकों में फ्लैटों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। खासकर उन परियोजनाओं में जो तैयार हो चुकी हैं या जल्दी तैयार होने वाली हैं। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि CBI जाँच से भले ही परियोजना की साख पर सवाल उठ रहे हों, लेकिन नोएडा में प्रॉपर्टी की माँग अभी भी ज़्यादा है। इसके साथ ही, बिल्डर भी जाँच के चलते हुए नुकसान की भरपाई के लिए कीमतों में इज़ाफ़ा कर रहे हैं, जिसका सीधा असर खरीदारों पर पड़ रहा है।

क्या है आगे का रास्ता?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिए हैं कि वह बिल्डरों से खेल सुविधाओं के विकास के लिए बकाया राशि वसूल करे और रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू करे। हालाँकि, CBI की जाँच अभी जारी है और ऐसे में पूरी तरह से रजिस्ट्री कब शुरू होगी, यह कहना मुश्किल है। खरीदारों को उम्मीद है कि सरकार और अथॉरिटी जल्द ही इस मामले का कोई स्थायी हल निकालेंगे ताकि उनकी मेहनत की कमाई और सालों की बचत सुरक्षित हो सके।

 

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