भारत की विदेश नीति: संविधान, सिद्धांत और वैश्विक स्थिति

India’s Foreign Policy: भारत की विदेश नीति, भारतीय संविधान के सिद्धांतों पर आधारित है और वैश्विक तनाव के मौजूदा माहौल में देश को एक महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ा करती है। यह नीति शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, गुटनिरपेक्षता, संप्रभुता के सम्मान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

संविधान का आधार:

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में से एक है। यह अनुच्छेद भारत की विदेश नीति के निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं को रेखांकित करता है:

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना: भारत हमेशा से ही संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और निरस्त्रीकरण का समर्थक रहा है।
  • राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानजनक संबंध बनाए रखना: भारत सभी देशों के साथ समान और मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने में विश्वास रखता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून और संधि दायित्वों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना: भारत अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का पालन करने को महत्व देता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय विवादों के मध्यस्थता द्वारा निपटारे को प्रोत्साहित करना: भारत बातचीत और मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को हल करने का पक्षधर रहा है।

विदेश नीति के मुख्य सिद्धांत 

  • गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment): शीत युद्ध के दौरान, भारत ने किसी भी शक्ति गुट में शामिल न होकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना की। यह सिद्धांत आज भी भारत को स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने में मदद करता है।
  • पंचशील के सिद्धांत: चीन के साथ 1954 में हस्ताक्षरित पंचशील के सिद्धांत – एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान, गैर-आक्रमण, एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता और पारस्परिक लाभ, और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व – भारत की विदेश नीति के मार्गदर्शक सिद्धांत बने हुए हैं।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग: भारत विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • बहुपक्षवाद (Multilateralism): भारत संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, G20, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रूप से भाग लेता है और बहुपक्षवाद का समर्थन करता है।
  • पड़ोसी पहले की नीति (Neighbourhood First Policy): भारत अपने पड़ोसियों के साथ मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने को प्राथमिकता देता है, जिसमें कनेक्टिविटी, व्यापार और लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देना शामिल है।
  • एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy): यह नीति दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और प्रशांत क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है, जिसमें आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक आयाम शामिल हैं।

प्रमुख विदेश मंत्रियों की उपलब्धियां और भारत की वैश्विक स्थिति:

भारत की विदेश नीति को विभिन्न विदेश मंत्रियों ने आकार दिया है, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता और कूटनीति से देश को वैश्विक मंच पर स्थापित किया है।

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू (भारत के पहले प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री):
    • उपलब्धियां: गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी, पंचशील सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, संयुक्त राष्ट्र में भारत की मजबूत आवाज बने। उन्होंने भारत को एक नवोदित राष्ट्र के रूप में वैश्विक पहचान दिलाई और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पक्षधर के रूप में स्थापित किया।
    • वैश्विक स्थिति: नेहरू के नेतृत्व में, भारत ने शीत युद्ध के दौरान एक स्वतंत्र और तटस्थ रुख अपनाया, जिससे विकासशील देशों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • इंदिरा गांधी (प्रधानमंत्री के रूप में विदेश मंत्रालय का प्रभार संभाला):
    • उपलब्धियां: 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान प्रभावी कूटनीति, परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर भारत के परमाणु विकल्प को खुला रखा।
    • वैश्विक स्थिति: इंदिरा गांधी के नेतृत्व में, भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत किया और क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की।
  • अटल बिहारी वाजपेयी (प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में):
    • उपलब्धियां: 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद अंतर्राष्ट्रीय दबाव को संभाला, पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता शुरू की (लाहौर घोषणा), लुक ईस्ट नीति को आगे बढ़ाया।
    • वैश्विक स्थिति: वाजपेयी ने भारत को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • यशवंत सिन्हा और जसवंत सिंह (वाजपेयी सरकार में):
    • उपलब्धियां: संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत किया, “नेबरहुड फर्स्ट” की अवधारणा पर काम किया।
    • वैश्विक स्थिति: इन मंत्रियों ने भारत को वैश्विक भू-राजनीति में अधिक सक्रिय और एकीकृत भूमिका निभाने में मदद की।
  • प्रणब मुखर्जी (UPA सरकार में विदेश मंत्री):
    • उपलब्धियां: संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके बाद भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) से छूट मिली।
    • वैश्विक स्थिति: मुखर्जी ने भारत की परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड को स्वीकार करते हुए उसे वैश्विक परमाणु व्यवस्था में एक विशेष स्थान दिलाया।
  • सुषमा स्वराज (मोदी सरकार में):
    • उपलब्धियां: प्रवासी भारतीयों की मदद के लिए सक्रिय और प्रभावी भूमिका निभाई, ट्विटर कूटनीति का उपयोग कर वैश्विक स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाया। कई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया।
    • वैश्विक स्थिति: सुषमा स्वराज ने जनता से जुड़कर और त्वरित सहायता प्रदान करके विदेश मंत्रालय की छवि को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
  • डॉ. एस. जयशंकर (वर्तमान विदेश मंत्री):
    • उपलब्धियां: बहुध्रुवीय विश्व में भारत के हितों को मुखर रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं, क्वाड (QUAD) जैसे विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को मजबूत कर रहे हैं, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे जटिल भू-राजनीतिक मुद्दों पर भारत की स्वतंत्र स्थिति को बनाए रखा है, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका पर जोर दे रहे हैं।
    • वैश्विक स्थिति: डॉ. जयशंकर भारत को एक “विश्व गुरु” और “नेतृत्व प्रदाता” के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए वैश्विक चुनौतियों के समाधान में योगदान दे रहा है। वह भारत को एक ‘विश्वबंधु’ के रूप में भी देखते हैं, जो सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने का प्रयास करता है।

India’s Foreign Policy

वर्तमान वैश्विक माहौल में भारत की स्थिति:

वर्तमान तनावपूर्ण विश्व माहौल में, भारत एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरा है।

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष: भारत ने इस संघर्ष पर एक संतुलित और स्वतंत्र रुख अपनाया है, जिसमें बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया गया है। भारत ने किसी भी गुट का पक्ष नहीं लिया है और मानवीय सहायता प्रदान की है।
  • चीन के साथ सीमा विवाद: भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और चीन के साथ बातचीत के माध्यम से सीमा विवादों को हल करने का प्रयास कर रहा है, जबकि अपनी रक्षा क्षमताओं को भी मजबूत कर रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन: भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल है और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने तथा स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई: भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक मजबूत भागीदार है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करने का आह्वान करता है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं: भारत अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए काम कर रहा है, विशेष रूप से “मेक इन इंडिया” पहल के माध्यम से।
  • G20 और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भूमिका: G20 की हालिया अध्यक्षता में भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनने का प्रयास किया और विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संक्षेप में, भारत अपनी संविधान-आधारित विदेश नीति और दूरदर्शी विदेश मंत्रियों के प्रयासों के माध्यम से एक स्वतंत्र, प्रभावशाली और जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। यह न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है, बल्कि एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध विश्व व्यवस्था में भी सक्रिय रूप से योगदान देता है। तनावपूर्ण विश्व के माहौल में, भारत की स्थिति एक सेतु निर्माता और एक समाधान-उन्मुख भागीदार की है, जो वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग और संवाद को बढ़ावा देता है।

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