Strait of Hormuz News: आ रही खबरों के अनुसार ईरान के संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है, हालांकि अंतिम निर्णय ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा लिया जाएगा। यह कदम अमेरिकी हवाई हमलों के बाद ईरान द्वारा संभावित जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। यदि ईरान इस महत्वपूर्ण जलमार्ग को बंद करता है, तो इसका वैश्विक ऊर्जा बाजारों और विशेष रूप से भारत पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जानकार कहते है कि भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में अनियमित बढौतरी देखने को मिल सकती है। हालांकि भारत ने क्रूड तेल के भडारण की अच्छी व्यवस्था की है लेकिन कुछ महीनों तक ही ये स्टोक चल पाएंगा।
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज क्या है और इसका महत्व क्या है?
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ने वाला एक संकीर्ण जलमार्ग है, जो आगे अरब सागर और हिंद महासागर से जुड़ता है। अपनी सबसे संकरी जगह पर यह केवल 33 किलोमीटर (21 मील) चौड़ा है, और शिपिंग लेन प्रत्येक दिशा में केवल 3 किलोमीटर चौड़ी है।
यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण “चोक पॉइंट्स” में से एक है क्योंकि दुनिया के कुल तेल व्यापार का लगभग 20-30% और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का एक बड़ा हिस्सा इसी मार्ग से गुजरता है। सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देश अपने अधिकांश कच्चे तेल का निर्यात इसी जलडमरूमध्य के माध्यम से करते हैं।
ईरान द्वारा होर्मुज को बंद करने का प्रभाव
यदि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करता है, तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- वैश्विक तेल कीमतों में भारी वृद्धि: यह सबसे तात्कालिक और महत्वपूर्ण प्रभाव होगा। जलडमरूमध्य के बंद होने से वैश्विक तेल और गैस की आपूर्ति में भारी कमी आएगी, जिससे कीमतें आसमान छू सकती हैं। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल से ऊपर या $150 प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा पर संकट: यूरोप और एशिया जैसे क्षेत्र जो खाड़ी देशों से तेल और गैस आयात पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं, उन्हें ऊर्जा की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है।
- शिपिंग लागत और बीमा प्रीमियम में वृद्धि: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में किसी भी व्यवधान से शिपिंग लागत और जहाजों के बीमा प्रीमियम में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, भले ही मार्ग पूरी तरह से बंद न हो। इससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी।
- वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव: तेल और गैस के अलावा, अन्य व्यापारिक जहाजों की आवाजाही भी बाधित होगी, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित होंगी।
- भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज का बंद होना एक बड़ा भू-राजनीतिक संकट पैदा करेगा, जिससे क्षेत्र में सैन्य टकराव का जोखिम बढ़ जाएगा।
भारत पर प्रभाव
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है, और यह अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का लगभग 85% आयात करता है। इसमें से लगभग 40% मध्य पूर्वी देशों से आता है, जिनके निर्यात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरते हैं। ऐसे में ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का भारत पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा:
- कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के बंद होने से भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आएगा, जिससे देश में पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी।
- ऊर्जा सुरक्षा पर दबाव: भारत की ऊर्जा सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित होगी क्योंकि मध्य पूर्वी देशों से तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है। हालांकि, भारत ने हाल के वर्षों में अपने तेल आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाई है, जिसमें रूस और अमेरिका जैसे देशों से भी आयात शामिल है, जिससे कुछ हद तक प्रभाव कम हो सकता है।
- माल ढुलाई लागत में वृद्धि: शिपिंग लागत और बीमा प्रीमियम में वृद्धि से आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
- आर्थिक मंदी का खतरा: तेल की बढ़ती कीमतें और बाधित आपूर्ति श्रृंखलाएं भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे विकास दर धीमी हो सकती है।
- वैकल्पिक मार्गों की खोज: भारत को वैकल्पिक मार्गों और आपूर्तिकर्ताओं पर अधिक निर्भर रहना होगा, हालांकि होर्मुज का कोई व्यवहार्य समुद्री विकल्प नहीं है जो इतनी बड़ी मात्रा में व्यापार को संभाल सके।
भारत की तैयारी और प्रतिक्रिया
भारत सरकार इस स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति में विविधता लाई है, और उसके तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों का स्टॉक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत वैकल्पिक मार्गों से ऊर्जा आपूर्ति प्राप्त करना जारी रखेगा। सरकार नागरिकों को ईंधन की आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
संक्षेप में, यदि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा, जिससे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि होगी और ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा होगा। भारत के लिए, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसका मतलब महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक चुनौतियां होंगी, हालांकि सरकार ने इन प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए हैं।
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