कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच देशभर में मनाई जा रही बकरीद, क्या आप जानते हैं कुर्बानी क्यों देते हैं मुसलमान

देशभर में आज बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। बकरीद को त्याग के त्यौहार के रूप् में देखा जाता है। आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ये त्यौहार मनाया जा रहा है। नोएडा और दिल्ली में पुलिस की निगाहे चप्पे चप्पे पर है। ताकि कोई असामाजिक तत्व शांति में भंग न डाल दे। ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर बकरीद पर कुबार्नी क्यो देते है मुसलमान।
ऐसे शुरू हुई कुबार्नी की परम्परा
दरअसल, यह इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है, जो रमजान खत्म होने के लगभग 70 दिन बाद आती है। इस त्योहार के पीछे की कहानी पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से जुड़ी है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह ने पैगंबर इब्राहीम की परीक्षा लेने की इच्छा की। उन्हें सपने में अल्लाह का आदेश मिला कि वे अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी दें। इब्राहीम के लिए उनका बेटा इस्माइल सबसे प्रिय था। अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए, इब्राहीम ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निश्चय किया।
अल्लाह की रहमत
जैसे ही इब्राहीम ने अपने बेटे को कुर्बान करने का प्रयास किया, अल्लाह ने उनकी सच्ची आस्था और समर्पण को देखकर इस्माइल की जगह एक मेमने (दुम्बा) को भेज दिया और कुर्बानी को स्वीकार कर लिया। यह घटना अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और त्याग की भावना का प्रतीक बन गई।
हज यात्रा का समापन
बकरीद हज यात्रा के समापन का भी प्रतीक है, जिसमें दुनियाभर से लाखों मुसलमान मक्का (सऊदी अरब) जाकर इस्लाम के पांचवें स्तंभ, हज को पूरा करते हैं। कुर्बानी का महत्वरू बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है। यह दर्शाता है कि इंसान को खुदा की राह में अपनी सबसे प्रिय चीज भी कुर्बान करने का जज्बा रखना चाहिए। इस्लाम धर्म के जानकार बताते हैं कि जानवर की कुर्बानी से पहले अपनी नीयत, घमंड, लालच और नफरत की कुर्बानी करना अधिक महत्वपूर्ण है। यही असली ईमान की पहचान है। कुर्बानी के बाद गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता हैरू एक हिस्सा अपने परिवार के लिए, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और तीसरा हिस्सा जरूरतमंदों और गरीबों में बांटा जाता है, ताकि समाज में समानता और भाईचारे का संदेश फैले। कुल मिलाकर, बकरीद का पर्व त्याग, सच्चाई और इंसानियत का संदेश देता है, और यह सिखाता है कि अल्लाह पर अपना विश्वास रखते हुए दूसरों की सहायता करना और अपने स्वार्थ को त्यागना ही असली धर्म है।

क्या है बकरीद का त्यौहार

बता दें कि बकरीद त्याग, आस्था और सुरक्षा का त्योहार देशभर में बकरीद (ईद-उल-अजहा) का पावन पर्व पूरे उल्लास, भाईचारे और अमन-चैन के साथ मनाया गया। यह त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के महान त्याग और अल्लाह के प्रति उनकी अटूट आस्था का प्रतीक है। इस अवसर पर दिल्ली नोएडा और देश के कौने कौने में मस्जिदों और ईदगाहों में विशेष नमाज अदा की गई, और लाखों लोगों ने मुल्क की सलामती, शांति और भाईचारे की दुआ मांगी।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
देश भर में सुरक्षा के कड़े और व्यापक इंतजाम किए गए थे। विभिन्न राज्यों, खासकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। ’पुख्ता सुरक्षा घेरारू दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों, बाजारों, धार्मिक स्थलों और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
एडवाइजरी और प्रतिबंध का किया ऐलान
कई राज्य सरकारों ने बकरीद को लेकर एडवाइजरी जारी की, जिसमें प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी और सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी पर रोक लगाने पर जोर दिया गया। दिल्ली सरकार ने विशेष रूप से गाय, बछड़े और ऊंट जैसे पशुओं की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगाया।
निगरानी और गश्त करती रही पुलिस
आज पुलिस ने कई इलाकों में चेकिंग अभियान चलाए और गश्त बढ़ाई। ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की गई ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। इन कड़े सुरक्षा इंतजामों के चलते त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। दिल्ली की जामा मस्जिद सहित कई मस्जिदों में भारी संख्या में लोग नमाज अदा करने पहुंचे, जहां आरएएफ की तैनाती सहित व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए गए थे।

 

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