बकरे की फोटो वाला केक नहीं काट सकते: नायब शाही इमाम

Delhi । मुस्लिम समुदाय ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाएगा, जिसमें बकरों समेत अन्य जानवरों की कुबार्नी दी जाती है। इस बार त्योहार को लेकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर विवाद भी सामने आ रहा है। कई हिंदू संगठन और भाजपा नेता पर्यावरण के हित में मुस्लिमों से मिट्टी के बकरे या केक पर बकरे की तस्वीर लगाकर प्रतीकात्मक कुबार्नी देने का अनुरोध कर रहे हैं। लेकिन इस पर मुस्लिम संगठनों की सहमति नहीं मिली है।
दिल्ली की जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम मौलाना शाबान बुखारी ने इस मामले में स्पष्ट कहा है कि वे वर्चुअल या प्रतीकात्मक कुबार्नी की बात से सहमत नहीं हैं। उन्होंने बताया कि कुबार्नी हजरत इब्राहिम की सुन्नत है, जिसे बदला नहीं जा सकता। उन्होंने मुस्लिमों से अपील की है कि त्योहार को परंपरागत तरीके से ही मनाएं, लेकिन सरकार की कोविड-19 गाइडलाइन का सख्ती से पालन करें।
मौलाना बुखारी ने कहा कि खुले स्थानों पर कुबार्नी न करें, बल्कि तयशुदा और बंद जगहों में ही इसे अंजाम दें। उन्होंने साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने और पड़ोसियों के जज्बात का सम्मान करने की भी अपील की। साथ ही प्रतिबंधित जानवरों जैसे गाय या ऊंट की कुबार्नी पर रोक के संबंध में उन्होंने कहा कि सभी को सरकार के नियमों का पालन करना चाहिए।

 

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