वेंडर्स ने लगाए गंभीर आरोप: उनके माल के नहीं दिए जा रहे पैसे
noida news भारतीय रेलवे में कैटरिंग का काम करने वाली नोएडा स्थित निजी कंपनी की मनमानी से छोटे-छोटे माल की सप्लाई करने वाले वेंडर्स बेहद परेशान हैं। उनका आरोप है कि उन्हें उनके माल के पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें आॅफिस में पैसे लाने के लिए जब आते हैं तो बाउंसर द्वारा डरा धमकाकर भगा दिया जाता है।
वेंडर्स एसोसिएशन के सुशील तोमर ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बताया की नोएडा के ए-16 सेक्टर 6 स्थित अम्बुज होटल एंड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी आईआरसीटीसी का अधिकृत कैटरिंग सेवा प्रदाता है,जो वर्तमान में पुरे देश ने करीब 60 से अधिक मेल/एक्सप्रेस एवं वन्दे भारत ट्रेनों में खाद्य सेवा का संचालन करती है, लेकिन कंपनी द्वारा करीब 6 से 8 महीनों से अपने सैकड़ो सप्लायरों और वेंडरों का भुगतान रोककर बैठी हुई है। जिसकी बकाया राशि करीब 7 से 8 करोड़ रुपए बैठती है।
वहीं अमन गुप्ता ने बताया की जब भी कोई वेंडर सेक्टर 6 स्थित कंपनी के मुख्य कार्यालय में भुगतान की मांग करने पर्चेज मैनेजर आनंद शर्मा एवं अकाउंट मैनेजर अभिषेक झा के पास जाते हैं तो उन्हें धमकी दी जाती है की जो करना है कर लो लेकिन पैसा नहीं मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाया की हमें बाउंसर द्वारा माध्यम से डराया धमकाया जाता है, साथ ही कई बार मारपीट भी की जा चुकी है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर पुलिस कमिश्नर और रेल मंत्री से भी मिलने का निर्णय लिया है।
एमएसएमई वेंडर्स एसोसिएशन ने आरोपों का खंडन
noida news अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड में, एमएसएमई वेंडर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले विक्रेताओं के एक समूह द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए आरोपो कोनिराधार और दुर्भावनापूर्ण बताया औरआरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है।
यह कथन न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और मीडिया और सरकारी अधिकारियों सहित हितधारकों को गुमराह करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास प्रतीत होता है। भुगतान न करने और बकाया रोके जाने के आरोप पर यह सच है कि कुछ विक्रेताओं को भुगतान अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, लेकिन केवल पारस्परिक रूप से हस्ताक्षरित बिक्री-खरीद समझौतों (एसपीए) के दस्तावेजी और बार-बार उल्लंघन के बाद रोका गया। हमारे पास विक्रेताओं का एक व्यापक नेटवर्क है, जिनमें से अधिकांश समय पर भुगतान और पारदर्शी व्यवहार से संतुष्ट हैं। वास्तव में, हमने पिछले 12 महीनों में अनुपालन करने वाले विक्रेताओं को करोड़ों रुपये का भुगतान जारी किया है।
निजी कंपनी की मनमानी से परेशान हैं वेंडर
