G-7 की बैठक में पहुंचे पीएम मोदी, जानिए कब बना ये ग्रुप, भारत सदस्य नही फिर भी मिलती है अहमियत

G-7 Summit In Canada:  G7 शिखर सम्मेलन कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानैस्किस में आयोजित हो रहा है। यह 51वां G7 शिखर सम्मेलन है, जिसकी मेजबानी कनाडा कर रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा पहुंचे हैं। यह एक दशक में उनकी कनाडा की पहली यात्रा है। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक स्थिरता, विकास, मुद्रास्फीति, आर्थिक मंदी की आशंका, वैश्विक व्यापार में असंतुलन, आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, उभरती हुई प्रौद्योगिकियां और क्वांटम प्रौद्योगिकियों जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हो रही है। इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के जल्द शिखर सम्मेलन से लौटने की खबरें भी आ रही हैं। G7 देशों ने ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने और इजराइल को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार होने के संबंध में एक साझा बयान भी जारी किया है।

G7: ये देश है दुनिया मे विकसित

G7, जिसका पूरा नाम “ग्रुप ऑफ सेवन” है, दुनिया की सात सबसे विकसित और औद्योगिक ताकतों का एक अनौपचारिक मंच है। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। यूरोपीय संघ भी इस समूह में भाग लेता है और शिखर सम्मेलनों में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष द्वारा इसका प्रतिनिधित्व किया जाता है।

क्या आप जानते है कैसे बना G7 ग्रुप

G7 की शुरुआत 1970 के दशक के मध्य में वैश्विक आर्थिक संकट, विशेष रूप से 1973 के तेल संकट और वित्तीय अस्थिरता के बाद हुई थी। उस समय की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं ने वैश्विक आर्थिक नीति के समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अनौपचारिक मंच की आवश्यकता महसूस की।

  • 1975 में गठन (G6): इस समूह की पहली बैठक 1975 में फ्रांस के राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’ईस्टेन की पहल पर फ्रांस में हुई थी। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल थे, जिसे तब G6 कहा जाता था।
  • 1976 में कनाडा का प्रवेश (G7): 1976 में कनाडा के शामिल होने के बाद यह समूह G7 बन गया।
  • 1998 में रूस का प्रवेश (G8): 1998 में रूस के इसमें शामिल होने के बाद यह G8 बन गया।
  • 2014 में रूस का निष्कासन (पुनः G7): 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस को समूह से बाहर कर दिया गया और यह फिर से G7 बन गया।

उद्देश्य और कार्यप्रणाली

G7 का मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करना है। यह वैश्विक स्तर पर नेतृत्व प्रदान करता है और महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

  • आर्थिक स्थिरता और विकास: G7 सदस्य देश आर्थिक नीतियों पर चर्चा करते हैं ताकि विश्व अर्थव्यवस्था स्थिर और सतत विकास की राह पर चले। वे व्यापार, निवेश और वित्तीय सुधारों को बढ़ावा देते हैं।
  • वैश्विक चुनौतियों का समाधान: G7 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, आतंकवाद, गरीबी और विकास जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है और उनके समाधान खोजने का प्रयास किया जाता है।
  • नीति समन्वय: सदस्य देश विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर नीति समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
  • नेतृत्व और मार्गदर्शन: G7 वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

G7 का कोई औपचारिक चार्टर या सचिवालय नहीं है। इसके शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित किए जाते हैं और समूह के सदस्यों द्वारा बारी-बारी से इनकी मेजबानी की जाती है। प्रत्येक वर्ष, मेजबान देश एजेंडा निर्धारित करता है और अतिथि देशों (जैसे भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन) और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे यूरोपीय संघ, आईएमएफ, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र) के नेताओं को आमंत्रित करता है।

G7 में भारत की भूमिका:

भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में उसे कई शिखर सम्मेलनों में “आउटरीच देश” या “विशेष अतिथि” के रूप में आमंत्रित किया गया है। भारत की बढ़ती आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रासंगिकता को देखते हुए, G7 देश वैश्विक समाधानों के लिए भारत के इनपुट को महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न G7 शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है और ऊर्जा सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

संक्षेप में, G7 दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण मंच है जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

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