गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान पंचकूला निवासी वरुण कुमार और अबोहर निवासी साहिल सेठी के रूप में हुई है। जांच से पता चला है कि वरुण कुमार ने अपना बैंक खाता साहिल सेठी को कमीशन के आधार पर किराए पर दिया था। साहिल ऐसे बैंक खाते खरीदता था और अपने सरगना से प्राप्त निर्देशों के अनुसार, जो उससे वर्चुअल मोबाइल नंबरों के जरिए संपर्क में था, उन्हें नई दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के लिए आगे बेच देता था।
गौरव यादव ने बताया कि सरगना इन फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए धोखाधड़ी से प्राप्त धन के आधार पर गिरफ्तार आरोपियों को कमीशन देता था।
डीजीपी ने कहा, “प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी 14 राज्यों में लगभग 34 अन्य इसी प्रकार की साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों में भी शामिल हैं, जिनमें कुल ठगी की राशि 8 करोड़ रुपए से अधिक है।” उन्होंने यह भी बताया कि वर्चुअल मोबाइल नंबरों और इस धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार व्यापक नेटवर्क का खुलासा करने के लिए आगे जांच जारी है। ऑपरेशन के बारे में जानकारी साझा करते हुए, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) साइबर क्राइम वी. नीरजा ने बताया कि 15 लाख रुपए की ठगी का शिकार हुए एक पीड़ित की शिकायत के बाद, इंस्पेक्टर जुझार सिंह की निगरानी में एक साइबर क्राइम टीम ने गहराई से जांच की। उन्होंने बताया कि टीम ने विभिन्न ओएसआईएनटी तकनीकों और भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आई 4C) के समनवे पोर्टल की तकनीकी सहायता का उपयोग करते हुए आरोपियों की पहचान की और उनकी गिरफ्तारी में सफलता पाई।
एडीजीपी ने बताया कि दिल्ली/एनसीआर क्षेत्र में वर्चुअल मोबाइल नंबरों और फर्जी बैंक खातों की आपूर्ति से संबंधित आगे की जांच जारी है। उन्होंने कहा कि इन गिरफ्तारियों से 14 राज्यों में सक्रिय एक बड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। इस संबंध में थाना राज्य साइबर क्राइम, पंजाब में भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4) और 61(2) तथा आईटी एक्ट की धारा 66(सी) और 66(डी) के अंतर्गत एफआईआर नंबर 04 दिनांक 08-05-2025 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
डिब्बी: निवेश धोखाधड़ी क्या है?
निवेश धोखाधड़ी में वे योजनाएं शामिल होती हैं, जो अत्यधिक लाभ का झूठा वादा करती हैं और अक्सर वास्तविक प्रतीत होती हैं। इन घोटालों में नए निवेशकों से जमा कराए गए पैसों से पुराने निवेशकों को लाभ दिया जाता है। इसे पोंजी स्कीम भी कहा जाता है।
धोखाधड़ी की स्थिति में हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर जाकर तुरंत शिकायत दर्ज करें।