क्या आप जानते हैं बिल्डरों ने किस किस सरकार के साथ मिलीभगत कर आपके सपने उजाड़े, रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल आया प्रॉपर्टी डीलर से बने बिल्डर, जानिए ग्रुप हाउसिंग प्लॉट पूरा षडयंत्र

Builder Fraud In Noida Greater Noida: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 100 नहीं 200 नहीं बल्कि लाखों लोगों के सपने चकनाचूर करने वाले बिल्डर आज की तारीख में कुछ भी सफाई पेश कर रहे हो लेकिन हकीकत ये है कि तत्कालीन सरकार की मिलीभगत से उन्होंने ग्रुप हाउसिंग के प्लॉट आवंटित कराए और प्री लॉन्चिंग में ही फ्लैट बेच दिये। कोई क्रिकेटर्स तो कोई फ़िल्म स्टार को बुला कर ग्रांड ओपनिंग करता था। नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 10% लेकर ओपन आवंटित कर देती थी। 3 साल बाद इन्सटॉलमेंट शुरू होने का प्रावधान किया गया। रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल आया और प्रॉपर्टी डीलर बिल्डर बन बैठे। यदि आज के समय की बात करें तो ज्यादातर बिल्डरों ने फ्लैट बायर्स को कही का नहीं छोड़ा है। जिनको फ्लैट मिले हैं वे गुणवत्ता और सुविधाओं के अभाव में बिल्डरों को कोस रहे हैं। जिन बायर्स को फ्लैट नहीं मिले हैं वे सरकारों को दोष दे रहे हैं। ये सही भी है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों द्वारा बायर्स के साथ धोखाधड़ी एक गंभीर और पुरानी समस्या रही है। इसके समाधान के लिए योगी सरकार ने मंत्रियों की कमेटी भी बनाई जिनके दबाव में कुछ बिल्डरों बायर्स को फ्लैट दिया।

बिल्डरों ने नोएडा प्राधिकरण से कई तरीकों से फेवर लिए, जिससे धोखाधड़ी की गुंजाइश बनी:

  • जमीन आवंटन में अनियमितताएं: आरोप लगते रहे हैं कि बिल्डरों को गलत तरीके से या कम दामों पर बड़े भूखंड आवंटित किए गए। इसमें सांठगांठ और भ्रष्टाचार की भूमिका मानी जाती है।
  • नियमों में ढील: प्राधिकरण ने कई बार बिल्डरों को परियोजनाओं को पूरा करने की समय-सीमा, निर्माण गुणवत्ता और अन्य मानकों में ढील दी।
  • फंड डायवर्जन में अनदेखी: बिल्डरों ने बायर्स से लिए गए पैसों को एक परियोजना से दूसरी परियोजना में या अन्य कार्यों में डायवर्ट किया। प्राधिकरण ने अक्सर इस पर समय रहते लगाम नहीं लगाई।
  • अपूर्ण परियोजनाओं पर कार्रवाई में देरी: कई बिल्डरों ने परियोजनाएं अधूरी छोड़ दीं, लेकिन प्राधिकरण ने उन पर कड़ी और समयबद्ध कार्रवाई करने में देरी की, जिससे बायर्स को लंबा इंतजार करना पड़ा।
  • एक ही फ्लैट कई लोगों को बेचना: कुछ मामलों में बिल्डरों ने एक ही फ्लैट कई बायर्स को बेच दिया। प्राधिकरण के पास ऐसी कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी जिससे इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके। हालांकि, रेरा (RERA) आने के बाद स्थिति में कुछ सुधार हुआ है।
  • अवैध निर्माण पर नरमी: कई बिल्डरों ने अवैध निर्माण किए या निर्धारित मानकों से हटकर निर्माण किया, जिस पर प्राधिकरण ने उचित कार्रवाई नहीं की।

कौन सी सरकार में ऐसे बिल्डरों की बाढ़ सी आ गई?

नोएडा में रियल एस्टेट सेक्टर का उछाल 2000 के दशक के मध्य से लेकर 2010 के दशक के शुरुआती वर्षों तक देखा गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) की सरकारों का कार्यकाल रहा।

यह वह दौर था जब बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण हुआ और नोएडा, ग्रेटर नोएडा, और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों ने धड़ाधड़ ग्रुप हाउसिंग स्कीमों के तहत जमीनें आवंटित कीं। इस दौरान रियल एस्टेट में निवेश का एक बड़ा बूम आया और कई छोटे-बड़े बिल्डर इस क्षेत्र में उतर गए। इस तीव्र विस्तार के साथ ही अनियमितताएं और धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े।

यह कहना मुश्किल है कि किस एक सरकार के कार्यकाल में “बाढ़ सी आ गई”, क्योंकि यह एक चरणबद्ध विकास था। लेकिन, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि 2000 के दशक के मध्य से 2010 के दशक के मध्य तक (जब बसपा और सपा दोनों की सरकारें रहीं), नोएडा में रियल एस्टेट गतिविधियों में जबरदस्त तेजी आई, और इसी दौरान कई बिल्डरों ने धोखाधड़ी की।

हाल के वर्षों में, विशेषकर रेरा (Real Estate Regulatory Authority) के आने के बाद, सरकार ने बायर्स के हितों की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी कई पुरानी परियोजनाओं में फंसे बायर्स को न्याय का इंतजार है। Police, प्रवर्तन निदेशालय (ED) CBI जैसी एजेंसियां भी अब बिल्डरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के मामलों में कार्रवाई कर रही हैं।

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