Nuclear weapons is Real Reason Of War Between Iran And Israel: ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष अब युद्ध में बदल रहा है। जिसको दुनिया भर में अलग अलग चश्मों से देखा जा रहा है। कोई इसे अमेरिका और अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का झगड़ा बताता है तो कोई कहता है कि इजरायल ईरान में आयतुल्लाह ख़ामेनेई (Ayatollah Khamenei) की सरकार का तख्तापलट करना चाहता है लेकिन जो लोग नजदीकी चश्मे से देखते हैं वो इसे बताते हैं कि सारा खेल परमाणु बम का है। दरअसल ईरान परमाणु हथियारों से लैस होने वाला है। इसको रोकने के लिए इजराइल ने ईरान पर अटैक किया। चलिए बताते हैं आखिर क्या है परमाणु हथियारों का पूरा खेल
दरअसल, परमाणु हथियारों की मौजूदगी एक निरंतर चिंता का विषय बनी हुई है। शीत युद्ध के बाद परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आने की उम्मीद थी, मगर मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव और राष्ट्रों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट(SIPRI) की नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों की कुल संख्या में भले ही थोड़ी कमी आई हो, लेकिन परिचालन में तैनात परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ रही है, और कई देश अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।
दुनिया में कुल 9 देश ऐसे हैं जिनके पास परमाणु हथियार होने की पुष्टि या व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA):
- प्रथम परीक्षण: 16 जुलाई 1945
- टिप्पणी: दुनिया का पहला परमाणु हथियार विकसित करने वाला और एकमात्र देश जिसने युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया (अगस्त 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर)।
- रूस (पहले सोवियत संघ):
- प्रथम परीक्षण: 29 अगस्त 1949
- टिप्पणी: शीत युद्ध के दौरान अमेरिका का मुख्य प्रतिद्वंद्वी और सबसे बड़ा परमाणु हथियार भंडार वाला देश।
- यूनाइटेड किंगडम (UK):
- प्रथम परीक्षण: 3 अक्टूबर 1952
- टिप्पणी: पांच मान्यता प्राप्त परमाणु हथियार संपन्न देशों में से एक।
- फ्रांस:
- प्रथम परीक्षण: 13 फरवरी 1960
- टिप्पणी: पांच मान्यता प्राप्त परमाणु हथियार संपन्न देशों में से एक।
- चीन:
- प्रथम परीक्षण: 16 अक्टूबर 1964
- टिप्पणी: तेजी से अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है। अनुमान है कि यह हर साल 100 से अधिक नए हथियार जोड़ रहा है।
- भारत:
- प्रथम परीक्षण: 18 मई 1974
- टिप्पणी: परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। SIPRI के अनुसार, भारत ने हाल के वर्षों में अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाई है और 2025 में इसके पास लगभग 180 परमाणु हथियार होने का अनुमान है।
- पाकिस्तान:
- प्रथम परीक्षण: 28 मई 1998
- टिप्पणी: भारत के जवाब में परमाणु हथियार विकसित किए। इसने भी NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। SIPRI के अनुसार, इसके पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं।
- उत्तर कोरिया:
- प्रथम परीक्षण: 9 अक्टूबर 2006
- टिप्पणी: NPT से बाहर निकल गया और लगातार परमाणु और मिसाइल परीक्षण कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव बढ़ रहा है। अनुमान है कि उसके पास 50-58 परमाणु हथियार हैं।
- इज़राइल:
- प्रथम परीक्षण: 1960-1979 के बीच अनुमानित
- टिप्पणी: अपने परमाणु हथियारों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करता है, लेकिन व्यापक रूप से माना जाता है कि उसके पास परमाणु क्षमता है। इसने भी NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
आज के दौर का विश्लेषण:
आज के दौर में परमाणु हथियारों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। कई महत्वपूर्ण रुझान देखे जा रहे हैं:
- आधुनिकीकरण की दौड़: भले ही कुछ देशों ने कुल हथियारों की संख्या में कमी की हो, वे अपने शेष परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने, उनकी सटीकता और मारक क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
- क्षेत्रीय तनाव: भारत-पाकिस्तान और इजराइल-ईरान जैसे क्षेत्रीय तनावों में परमाणु हथियारों की मौजूदगी से संघर्ष के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
- अप्रसार संधि की चुनौतियां: परमाणु अप्रसार संधि (NPT), जो परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, को उत्तर कोरिया जैसे देशों की गतिविधियों से चुनौती मिल रही है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर भी वैश्विक चिंताएं बनी हुई हैं।
- चीन का उदय: चीन अपने परमाणु शस्त्रागार का तेजी से विस्तार कर रहा है, जिससे वैश्विक शक्ति संतुलन पर असर पड़ रहा है।
- नई प्रौद्योगिकियां: हाइपरसोनिक मिसाइलों और अन्य उन्नत वितरण प्रणालियों के विकास से परमाणु युद्ध की आशंका और बढ़ गई है, क्योंकि निर्णय लेने का समय कम हो जाता है।
- पारदर्शिता की कमी: कई देशों, विशेषकर इज़राइल और उत्तर कोरिया, में परमाणु कार्यक्रम को लेकर पारदर्शिता की कमी है, जिससे वैश्विक निगरानी और स्थिरता में बाधा आती है।
Nuclear weapon
आज इसके परिपेक्ष्य को देखते हुए कहा जाए कि परमाणु हथियारों शांति स्थापित हो सकती है ऐसा नहीं है। परमाणु हथियारों का खतरा टला नहीं है, बल्कि यह नए रूपों और नए क्षेत्रों में उभर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण के प्रयासों को तेज करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, ताकि दुनिया को एक विनाशकारी संघर्ष से बचाया जा सके।
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