इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जुलहिज्जा की शुरुआत में हज और ईद-उल-अजहा विश्वभर में मनाई जाती है। हर वर्ष की तरह इस बार भी लाखों मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का शहर में इकट्ठा होते हैं, जहां से हज यात्रा शुरू होती है। इस बार हज यात्रा की शुरुआत आज यानी 4 जून से होगा। हज करने की रस्में जुलहिज्जा की 8वीं तारीख से शुरू होती हैं। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर मुस्लिम को अपने जीवन में एक बार हज जरूर जाना चाहिए। हज को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है।
दुनियाभर के मुसलमान मक्का पहुंच चुके है
बता दें कि हर वर्ष लाखों मुसलमान दुनियाभर से मक्का पहुंचकर हज करते हैं। यह इस्लाम धर्म की पांच बुनियादी इबादतों में से एक है. हज एक बेहद पवित्र और आध्यात्मिक यात्रा होती है, जिसमें कई अहम धार्मिक रिवाज पूरे किए जाते हैं।
हाजी हज के लिए धुल-हिज्जा के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं। हज यात्रा के पहले चरण में हाजियों को इहराम बांधना होता है। इहराम दरअसल बिना सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर पर लपेटना होता है. इस दौरान सफेद कपड़ा पहनना जरूरी है। हालांकि, महिलाएं अपनी पसंद का कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती है लेकिन हिजाब के नियमों का पालन करना चाहिए।
कैसे होता है हज
हज के पहले दिन मक्का पहुंचने के बाद सबसे पहला रिवाज ‘तवाफ’ होता है। इसमें हाजी काबा के चारों ओर सात बार उल्टी दिशा में चक्कर लगाते हैं। यह एकता और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है. तवाफ की शुरुआत और अंत काबा के एक कोने में लगे हज्रे अस्वद यानी काले पत्थर से होती है। इसे छूने की कोशिश की जाती है।
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