हर खाली भूमि को हरियाली से आच्छादित किया जाए: वत्स

वायु प्रदूषण के खिलाफ जीडीए की पहल,2700 वर्गमीटर जमीन पर मियावाकी तकनीक से तैयार होगा घना जंगल
ghaziabad news दिल्ली-एनसीआर के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल गाजियाबाद में अब सांस लेना थोड़ा आसान होने वाला है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) शहरवासियों को शुद्ध हवा देने और पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) परिसर की 2700 वर्गमीटर जमीन पर जापानी मियावाकी तकनीक से एक घना मिनी जंगल तैयार किया जाएगा। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स के नेतृत्व में यह परियोजना शहर को वायु प्रदूषण से राहत दिलाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। यह जंगल केवल हरा-भरा वातावरण ही नहीं देगा, बल्कि आॅक्सीजन का प्राकृतिक स्रोत बनकर आसपास के इलाकों को एक नई ऊर्जा से भर देगा। इस तकनीक की खास बात यह है कि सीमित जगह में अधिक घनत्व के साथ पौधे रोपित किए जाते हैं। इससे पेड़ बहुत तेजी से बढ़ते हैं और 10 सालों में ऐसा जंगल तैयार हो जाता है जो सामान्य तरीके से 30 साल में बनता। यहां खासतौर पर पीपल, नीम, सहजन और लाल कनेर जैसे छायादार व औषधीय गुणों से भरपूर पौधे लगाए जाएंगे।
कूड़ा था, अब होगा कृत्रिम जंगल
यह भूमि कभी नगर निगम के जरिए डंपिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल की जाती थी। कांवड़ यात्रा के दौरान यहां कूड़ा डाला गया था जिसे एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद हटाया गया। अब वही भूमि पर्यावरण सरंक्षण की मिसाल बनेगी।
सीएसआर फंड से आएंगे 27 लाख
परियोजना की लागत लगभग 27 लाख रुपये आंकी गई है, जिसे जीडीए के बजट से नहीं, बल्कि सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड से एक निजी संस्था वहन करेगी। यही संस्था अगले दो वर्षों तक पौधों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी उठाएगी।
भविष्य के लिए हरियाली की सौगात
गाजियाबाद में इस तरह की यह पहली योजना है जो शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या और वायु प्रदूषण के बीच एक संतुलन स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। जीडीए उद्यान विभाग ने इस योजना के तहत जमीन को समतल करना शुरू कर दिया है। जल्द ही रोपण कार्य भी शुरू होगा।
क्या कहते हैं जीडीए उपाध्यक्ष
जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स का कहना है कि गाजियाबाद में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए जीडीए का लक्ष्य है कि हर खाली भूमि को हरियाली से आच्छादित किया जाए। मियावाकी तकनीक से विकसित किया जा रहा यह मिनी फॉरेस्ट न केवल पर्यावरण को सहेजेगा, बल्कि आने वाली पीढि?ों को भी शुद्ध व स्वस्थ जीवन का संदेश देगा। हमारी कोशिश है कि गाजियाबाद को हरा-भरा और सांस लेने योग्य शहर बनाया जा सकें।

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