Haryana: भाजपा-जजपा सरकार के कुप्रबंधन के कारण डीएपी का संकट- कुमारी सैलजा
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Haryana: भाजपा-जजपा सरकार के कुप्रबंधन के कारण डीएपी का संकट- कुमारी सैलजा

ओम प्रकाश राय: कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी की सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने हरियाणा में डीएपी की किल्लत का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा-जजपा सरकार के कुप्रबंधन के कारण आज प्रदेश में हालात बेहद विकट हैं। किसान बिजाई के समय डीएपी खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है। मगर सरकार किसानों की सुध लेने को तैयार नहीं है। झूठे वादों के बल पर वाहवाही लूटने वाली सरकार हर स्तर पर किसानों के हितों पर आघात कर रही है। सरकार डीएपी की कमी को पूरा करे। वहीं कुमारी सैलजा ने एमबीबीएस में प्रवेश के लिए छात्रों पर थोपी गई बॉन्ड पॉलिसी को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन कर रहे छात्रों की मांगों को माने और बॉन्ड पॉलिसी को वापस ले।
यहां जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि जब से केंद्र के साथ हरियाणा में भाजपा ने सत्ता में कदम रखा है तब से प्रदेश निरंतर विकास से विनाश की ओर बढ़ रहा है। आज किसान को बिजाई के लिए डीएपी नहीं मिल रही है। इतिहास में यह पहली सरकार है जिसके चलते थानों में खाद बांटनी पड़ रही है। महिलाओं को घंटों लाईन में खड़े होना पड़ रहा है। सरकार की बड़ी विफलता यह है कि उसने समय रहते खाद का स्टॉक नहीं मंगवाया। इस सरकार में किसान आए दिन प्रताड़ित हो रहे हैं। कुमारी सैलजा ने कहा कि साजिश के तहत फसल की सरकारी खरीद नहीं की जाती और न ही किसानों को समय पर फसल का भुगतान हो पाता है। किसानों को खराब फसलों का मुआवजा तक नहीं मिल पाता है। किसान खाद के लिए भटकते रहते हैं। साथ ही महंगाई की मार भी किसानों पर पड़ रही है। किसानों को बर्बाद करने के लिए ही केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा तीन कृषि विरोधी कानून लाए गए थे। मगर किसानों ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया था और सरकार को काले कानून वापस लेने पड़े थे। यह सरकार हर तरह से किसानों को प्रताड़ित कर रही है।
वहीं कुमारी सैलजा ने एमबीबीएस में प्रवेश के लिए लागू सरकार की बॉन्ड पॉलिसी को पूरी तरह से वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश में स्कूली शिक्षा के बाद प्रोफेशनल शिक्षा का भी बेड़ा गर्क करने की प्लानिंग भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने कर ली है। जिस प्रकार से एमबीबीएस दाखिले में बांड की शर्त लगाई गई है, वह मेरिट में आकर डॉक्टर बनने का सपना पालने वाले छात्रों के हितों पर सीधा हमला है।
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