बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढा हुआ है। चुनावी तैयारियों के बीच ही लोग मतदाता सूचि के वेरिफिकेशन को लेकर काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं। चुनाव आयोग के फैसले के बाद बिहार के तमाम गांवों में लोग यही कहते हैं कि उनके पास सिर्फ आधार कार्ड है और चुनाव आयोग के द्वारा मांगे जा रहे कागजात उन्हें कहां से मिलेंगे?
मतदाता सूचि के वेरिफिकेशन को लेकर परेशानी झेल रहे लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से लेकर राजद के चीफ लालू प्रसाद यादव के वैशाली और तेजस्वी यादव के राघोपुर तक दिखाई देते हैं। तेजस्वी राघोपुर सीट से ही विधायक हैं। विपक्ष चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहा है। उसका कहना है कि यह समाज के पिछड़े, दलित, वंचित और कमजोर लोगों को उनके वोट डालने के अधिकार से वंचित करने की साजिश है।
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रजिस्टर्ड मतदाताओं के रिकॉर्ड
बता दें कि चुनाव आयोग के निर्देशों को मुताबिक, वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन का काम 25 जुलाई तक पूरा होना है। मानसून के बीच ही 77 हजार से ज्यादा बूथ लेवल ऑफिसर्स को अन्य सरकारी कर्मचारियों और पॉलिटिकल पार्टियों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बिहार में 7.8 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड मतदाताओं के रिकॉर्ड की जांच करनी है। एक मुश्किल यह है कि चुनाव आयोग ने सभी नए और मौजूदा मतदाताओं से नागरिकता का प्रूफ मांगा है।