Digital Arrest Case: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल अरेस्ट पर लोगों को आगाह भी किया है लेकिन ज्यादातर इस तरह के मामलों में पढ़े लिखे लोग ही फंस रहे हैं। कोई इंजीनियर है तो कोई डॉक्टर है। लगातार साइबर ठग अलग अलग लोगों को निशाना बना रहे हैं। इस बार
साइबर ठगों ने ईरान भेेजे जा रहे पार्सल में संदिग्ध सामान होने का डर दिखाया फिर सॉफ्टवेर इंजीनियर से 34 लाख की ठगी कर ली। खास बात ये है कि इसमें 19 लाख रुपये का लोन कराकर रुपये अपने खाते में ठगों ने ट्रांसफर कर लिये। महिला की शिकायत पर साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी। रविवार शाम तक पुलिस ने महिला के 10 लाख वापस करा दिए।
सॉफ्टवेर इंजीनियर निधि ऐसे फंसी जाल में
जनकारी के अनुसार सेक्टर-41 निवासी निधि पालीवाल ने कहा कि कुछ दिन पहले अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को कूरियर कंपनी का कर्मी बताते हुए निधि के नाम से मुंबई से ईरान पार्सल भेजे जाने की बात कही। कॉलर ने बताया कि पार्सल में एमडीएमए के साथ पांच फर्जी पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और 900 डॉलर हैं। इसके साथ उनके आधार कार्ड की डिटेल दी गई है। साथ ही उन्हें बताया गया कि इस नेटवर्क के तार मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हुए हैं। इस दौरान कथित रूप से नारकोटिक्स के अधिकारी से निधि की बात कराई गई। बाद में कथित तौर पर साइबर सेल के डीसीपी ने स्काइप कॉल पर बात की। इसने मुंबई आकर सत्यापन कराने के लिए कहा। इसके बाद उन्हें घर में ही डिजिटल अरेस्ट कर लिया। डिजिटल अरेस्ट करने के बाद बदमाशों को स्क्रीन शेयर करने को बोला और उनके अकाउंट को खोलकर उनसे 19 लाख रुपये का प्री अप्रूव्ड लोन पास करा लिया। इस धनराशि को भी अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। वैसे तो पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद 10 लाख रुपये खाते में वापस करा दिए हैं।
पढ़े लिखे ही क्यों आ रहे चक्कर में
जब बात होती है ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने की तो माना जाता है कि पढ़े लिखे लोग काफी समझदार होते हैं और वह आसानी से किसी के चक्कर में नहीं आते। लेकिन आजकल देखा जा रहा है कि पढ़े लिखे लोग जालसाजों के झांसे में आ रहे हैं। दरअसल इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है की ज्यादातर लोग इधर उधर कोरियर से सामान भेजते हैं और इसी सामान का पता करने के बाद साइबर ठग पढ़े लिखों को ही निशाना बनाते हैं। ठगी का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि पढ़े लिखे लोग जल्दी डर जाते हैं। उन्हें अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा की बेहद चिंता होती है इसीलिए वो इस तरह की कोई भी कॉल आने पर तुरंत मान जाते हैं और बिना किसी से अपनी बात शेयर किये साइबर ठगों को पैसा दे बैठते है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट, कैसे होते है अरेस्ट
बता दें कि डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल लैपटॉप से स्काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए किसी पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है। उसे इतना डरा दिया जाता है कि उससे लाखों रुपये का ट्रांजैक्शन के लिए मजबूर होना पड़ता है।
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