केंद्र के नवंबर 2016 के नोटबंदी के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच के जवाब में दायर एक हलफनामे में विस्तरित दी गई थीं। निर्दिष्ट बैंक नोटों के कानूनी निविदा चरित्र को वापस लेना अपने आप में एक प्रभावशाली उपाय था और नकली नोट, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बहुत बड़ी रणनीति का हिस्सा भी था।
सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने 2016 में लिए अपने नोटबंदी के फैसले का बचाव किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 2016 की नोटबंदी एक सुविचारित फैसला था और ये आतंक के वित्तपोषण, कालेधन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था। केंद्र ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोटों को विमुद्रीकृत करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए शीर्ष अदालत को बताया कि यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक के साथ व्यापक परामर्श के बाद उठाया गया था और नोटबंदी लागू करने से पहले बड़े स्तर पर तैयारी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा है कि फरवरी, 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ केंद्र ने नोटबंदी की पूरी प्लानिंग की थी।