Indian Economy: नई दिल्ली: भारत ने आर्थिक इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने घोषणा की है कि भारत अब चार ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी पार करते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस उपलब्धि के साथ भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी हैं। अनुमान है कि यदि वर्तमान गति बनी रही, तो 2027 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
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निर्माण क्षेत्र: विकास की असली धुरी
भारत की इस प्रगति में निर्माण क्षेत्र ने इंजन की भूमिका निभाई है। केंद्र सरकार ने बीते 11 वर्षों में बुनियादी ढांचे पर अभूतपूर्व निवेश किया है।
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सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों, और आवास परियोजनाओं में हुए निवेश ने कोर सेक्टर जैसे स्टील, सीमेंट, ऊर्जा और तेल को नई गति दी है।
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इससे जुड़ी लघु और मध्यम इकाइयों, और स्थानीय रोजगार को भी बड़ा लाभ मिला है।
💰 निवेश का नया केंद्र : भारत
सुधरी हुई नीतियों, मजबूत नेतृत्व और वैश्विक भरोसे ने भारत को विदेशी निवेश का हॉटस्पॉट बना दिया है।
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स्थिर राजनीतिक माहौल और नीतिगत पारदर्शिता ने निवेशकों का भरोसा जीता।
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तकनीक, मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्टअप क्षेत्रों में रिकॉर्ड स्तर पर FDI देखने को मिला है।
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विश्व की बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत ने खुद को आर्थिक संतुलन केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
🔰 रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत की छलांग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का असर अब रक्षा क्षेत्र में भी साफ दिख रहा है।
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भारत अब सिर्फ एक बड़ा हथियार आयातक नहीं, बल्कि एक प्रमुख निर्यातक भी बन चुका है।
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ब्रह्मोस, आकाश, तेजस जैसे स्वदेशी हथियार दर्जनों देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।
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इससे भारत को विदेशी मुद्रा के साथ-साथ कूटनीतिक लाभ भी मिला है।
📱 तकनीकी उन्नयन में अग्रणी बना भारत
भारत ने तकनीकी मोर्चे पर भी बड़ा बदलाव किया है:
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अब भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका है।
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चिप निर्माण, सेमीकंडक्टर, और सोलर पैनल तकनीक में भारत ने दुनिया का ध्यान खींचा है।
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आने वाले वर्षों में भारत का लक्ष्य है कि वह सेमीकंडक्टर निर्माण में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करे।
⚠️ सफलता के साथ सामने हैं नई चुनौतियाँ
आर्थिक विशेषज्ञ डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा मानते हैं कि भारत को अब औद्योगिक विकास के चौथे चरण की तैयारी करनी चाहिए:
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इसमें ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्कुलर इकोनॉमी जैसी अवधारणाएं अहम होंगी।
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साथ ही, ऑटोमेशन से उत्पन्न बेरोजगारी को भी गंभीरता से लेना होगा।
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इसके लिए आवश्यक है कि सरकार तकनीकी शिक्षा, री-स्किलिंग और श्रम आधारित क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दे।
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