ghaziabad news नगर निगम एक बार फिर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों को लेकर सुर्खियों में है। वार्ड-95 की पार्षद रूकसाना सैफी, पूर्व पार्षद नर्गिस जाकिर सैफी और पूर्व कार्यकारिणी सदस्य जाकिर अली सैफी ने शासन को प्रेषित पत्र के माध्यम से नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं और तीन वर्ष से अधिक समय से पदस्थ अधिकारियों के स्थानांतरण में देरी को लेकर गहरी नाराजगी जताई है।
उन्होंने इन मामलों की उच्च स्तरीय विजिलेंस जांच कराने की मांग की है।
पार्षदों का आरोप है कि नगर निगम में करोड़ों रुपए की परियोजनाओं में घोटाले हुए हैं और कुछ अधिकारियों ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है, जिससे सरकारी खजाने और जनता के धन को भारी नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि शासनादेश के अनुसार तीन वर्ष से अधिक समय से जमे अधिकारियों को हटाया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें अभी तक रिलीव नहीं किया गया है। इस बीच नगर निगम प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें “राजनीतिक दबाव और ब्लैकमेलिंग का हथकंडा” बताया है। निगम के अनुसार पार्कों, सड़कों और अन्य निर्माण कार्यों में पारदर्शी निविदा प्रक्रिया अपनाई गई है और एम. प्लस आर्च जैसी कंपनियों के नियमानुसार कार्य किए गए हैं। सड़क मरम्मत व पेविंग कार्य वायु प्रदूषण नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए समिति के अनुमोदन के बाद ही कराए जा रहे हैं। वसुंधरा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बनाए गए एमआरएफ सेंटर को अवैध रूप से ध्वस्त करने पर आवास विकास परिषद से पत्राचार किया गया है। नगर निगम में स्टाफ की कमी के चलते मृतक आश्रित के तौर पर नियुक्त शिवम प्रजापति से चपरासी का कार्य लिया जा रहा है। विकास नगर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भी 15वें वित्त आयोग की समिति के अनुमोदन से कार्य कराए जा रहे हैं।
निगम ने पूर्व पार्षद पर लगाए गंभीर आरोप
नगर निगम ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्व पार्षद जाकिर अली सैफी प्रेस और सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
निगम के अनुसार, यह “पेशेवर शिकायतकर्ता” प्रशासन को बदनाम कर अवैध लाभ प्राप्त करने के प्रयास में लगे हैं। महापौर ने भी शासन को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की है।
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