नई दिल्ली । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। स्पेशल जज एमके नागपाल ने ये आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर लगे आरोप गंभीर हैं। मामले की सीबीआई जांच जारी है, जमानत नहीं दी जा सकती है। 34 पृष्ठ के आदेश में कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
आपराधिक षड्यंत्र में सिसोदिया की सक्रिय भूमिका रही। प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी अपराध किया गया दिख रहा है। सिसोदिया आबकारी घोटाले के आपराधिक साजिश के कर्ताधर्ता थे। कोर्ट ने कहा कि 90-100 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत सिसोदिया और उनके सहयोगियों को देने के लिए थे। इनमें से 20-30 करोड़ रुपये विजय नायर, अभिषेक बोईनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के जरिये पहुंचता था।
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कोर्ट ने 24 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सिसोदिया ने कहा था कि उनके भागने की कोई संभावना नहीं है। सिसोदिया की ओर से पेश वकील दायन कृष्णन ने कहा था कि पत्नी की तबीयत बीते 20 साल से खराब है और देखभाल के लिए कोई नहीं है। उन्होंने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह कानून के दायरे में काम नहीं कर रही है।
सीबीआई की ओर से दलील देते हुए वकील डीपी सिंह ने कहा कि सिसोदिया 18 मंत्रालय देख रहे थे। इसमें शिक्षा विभाग के साथ वित्त और आबकारी विभाग भी था। उनको सारी जानकारी थी। सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि भले ही सिसोदिया का देश छोड़कर भागने का खतरा न हो, लेकिन जमानत के बाद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सिसोदिया फिलहाल ईडी हिरासत में हैं। सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।