बिहार चुनावी रैलियां: भारी बारिश बन के उभरी प्रचार अभियान की सबसे बड़ी बाधक

Bihar Election Rallies News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच, जहां एनडीए और महागठबंधन के नेता ताबड़तोड़ रैलियों से जनता को लुभाने की होड़ में हैं, वहीं अचानक बिगड़े मौसम ने चुनावी प्रचार को पटरी से उतार दिया है। लगातार हो रही भारी बारिश ने कई प्रमुख नेताओं की रैलियां रद्द कर दीं, जिससे सियासी दलों को अपनी रणनीति में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मौसमी विपत्ति पहले चरण के मतदान (6 नवंबर) से ठीक पहले विपक्षी दलों के लिए और चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

उत्तर बिहार के कई जिलों में पिछले 48 घंटों से हो रही मूसलाधार बारिश ने न केवल सड़कों को जलमग्न कर दिया, बल्कि हेलीकॉप्टरों की उड़ानों को भी प्रभावित किया। सबसे पहले प्रभावित हुईं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव की सभाएं। 30 अक्टूबर को मधेपुरा जिले के बिहारीगंज और आलमनगर में निर्धारित उनकी जनसभाएं रद्द हो गईं। तेजस्वी का हेलीकॉप्टर निर्धारित स्थान तक नहीं पहुंच सका, क्योंकि तेज बारिश के कारण लैंडिंग असंभव हो गई। अंततः उन्हें गौरा बौराम में उतरना पड़ा, लेकिन वहां भी मौसम ने साथ नहीं दिया।

तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर समर्थकों से अपील की कि वे घरों में रहकर वोटिंग की तैयारी करें, लेकिन यह रद्दीकरण महागठबंधन के प्रचार अभियान को झटका लगा।

इसी क्रम में, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की छपरा जिले के उधमा में 29 अक्टूबर को प्रस्तावित रैली भी मौसम की मार झेली। लगातार बारिश के कारण एनडीए उम्मीदवार छोटी कुमारी के समर्थन में होने वाली यह सभा ऐन वक्त पर रद्द करनी पड़ी। राजनाथ दोपहर करीब 3 बजे पहुंचने वाले थे, लेकिन खराब मौसम ने उनके कार्यक्रम को धो डाला। एनडीए के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “बारिश ने न केवल भीड़ जुटाने में दिक्कत दी, बल्कि सुरक्षा को भी खतरा पैदा कर दिया।”

आज (31 अक्टूबर) सुबह ही एक और बड़ा झटका लगा, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समस्तीपुर जिले के मोरवा में चुनावी सभा रद्द हो गई। रैली स्थल पर पानी भर जाने और तेज हवाओं के कारण जेडीयू कार्यकर्ताओं व स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया। नीतीश कुमार वहां एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में जनता को संबोधित करने वाले थे, लेकिन बारिश ने सब कुछ ध्वस्त कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में रैली स्थल को कीचड़ भरा दलदल नजर आ रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर बिहार में मानसून जैसी स्थिति बनी हुई है, जो अगले 48 घंटों तक जारी रह सकती है। इससे प्रभावित जिलों में मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधेपुरा, समस्तीपुर और छपरा जैसे क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कुछ रैलियां जैसे-तैसे हो गईं, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि एनडीए के पास बेहतर संसाधन होने से वे कम प्रभावित हुए। राहुल गांधी ने नालंदा में अपनी सभा के दौरान नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “बिहार में रोजगार के नाम पर धोखा दिया जा रहा है, ऊपर से मौसम भी विपक्ष के खिलाफ साजिश कर रहा लगता है।”

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि रैलियों के रद्द होने से प्रचार का समय कम हो रहा है, लेकिन पार्टियां अब डिजिटल माध्यमों और घर-घर जाकर प्रचार पर जोर दे रही हैं। बिहार में कुल 243 सीटों पर हो रहे इस चुनाव के पहले चरण में 43 जिलों की 122 सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग होगी। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि यह मौसमी संकट छोटे दलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है, जो बड़े नेताओं पर निर्भर हैं।

कुल मिलाकर, बिहार का चुनावी मौसम अब दोहरी मार झेल रहा है—एक तरफ सियासी उफान, दूसरी तरफ आसमानी आफत।

पार्टियों को अब अपनी रणनीति तेजी से बदलनी होगी, वरना वोटरों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। अगले कुछ दिनों में मौसम सुधरने की उम्मीद है, तब तक डिजिटल प्रचार ही मुख्य हथियार बनेगा।

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