Property Market: विश्वभर में अस्थिता के बावजूद भारत के इन शहरों में बढ रहे प्रोपर्टी के दाम

Property Market: दुनिया भर में चल रहे भू-राजनीतिक संघर्षों और आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत के मेट्रोपॉलिटन शहरों में प्रॉपर्टी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों और हालिया रिपोर्टों के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से बढ़ती मांग, सीमित आपूर्ति (रेडी-टू-मूव इन्वेंट्री की कमी), और निर्माण लागत में तेजी के कारण है। दिल्ली, गुरूग्रम, नोएडा, फरीदाबाद, चैन्नई, बेंगलूरू, पुणे, मुबई आदि में कोविड के बाद रेट बढौतरी में तेजी देखी गई। बताया जाता है कि यूपी के नोएडा में अन्य शहरों के मुकाबले रेट अधिक बढे है। एक समय पर गुरुग्राम में प्रोपर्टी के रेट में काफी बड़ा उछाल देखने को मिला था। आइए जानते है पूरा मसला

वर्तमान स्थिति और प्रमुख रुझान:

  • लगातार बढ़ती कीमतें: पिछले पांच सालों में भारत के बड़े शहरों में आवासीय संपत्ति की कीमतों में औसतन 48% की वृद्धि देखी गई है। द 1 फाइनेंस हाउसिंग टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) 2020 में 167 से बढ़कर 2025 में 247 तक पहुंच गया है, जो हाउसिंग मार्केट में मजबूत ग्रोथ का संकेत देता है।
  • मेट्रो शहरों में तेजी: दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे प्रमुख मेट्रो शहरों में कीमतों में बेतहाशा उछाल आया है।
    • बेंगलुरु 79% की शानदार तेजी के साथ सबसे आगे है।
    • हैदराबाद पिछले चार सालों में रियल एस्टेट सेक्टर में सबसे ज्यादा 80% की बढ़ोतरी के साथ भारत का नंबर एक शहर बन गया है।
    • दिल्ली और बेंगलुरु में 45% की वृद्धि देखी गई है, जबकि मुंबई 40% की तेजी के साथ पीछे है।
    • चेन्नई में 20% से कम वृद्धि हुई है, जबकि कोलकाता और अहमदाबाद में 25% और पुणे में करीब 30% की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • मांग में वृद्धि और आपूर्ति में कमी: देश में बिना बिके घरों में 32% की बढ़ोतरी के बावजूद, 2020 से 2025 तक बिक्री 33% बढ़ी है, जबकि नए प्रोजेक्ट्स में सिर्फ 10% की वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि आपूर्ति की तुलना में मांग ज्यादा तेजी से बढ़ी है।
  • निवेशकों का बढ़ता रुझान: शेयर बाजार में अस्थिरता के चलते कई निवेशक एक बार फिर प्रॉपर्टी बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। लक्जरी संपत्तियों पर केंद्रित रियल एस्टेट सलाहकार फर्म इंडिया सोथबी इंटरनेशनल रियल्टी की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 62% अमीर लोग रियल एस्टेट में निवेश बढ़ाने की सोच रहे हैं।
  • किरायों में भी बढ़ोतरी: घरों की कीमतों के साथ-साथ शहरी किराए भी 7 से 10% तक बढ़ सकते हैं, जिससे निवेशकों के लिए रेंटल यील्ड में भी इजाफा हो रहा है।

वैश्विक स्थिरता और संघर्ष का प्रभाव:

हालांकि, वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और संघर्ष का माहौल हमेशा चिंता का विषय होता है, लेकिन भारतीय संपत्ति बाजार पर इसका सीधा नकारात्मक प्रभाव फिलहाल कम दिख रहा है। इसके कुछ कारण हो सकते हैं:

  • घरेलू मांग की मजबूती: भारतीय रियल एस्टेट बाजार मुख्य रूप से घरेलू मांग से प्रेरित है। शहरीकरण, बढ़ती आय और बेहतर बुनियादी ढांचे के विकास से शहरों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे लोग शहरों में घर खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
  • आर्थिक वृद्धि: भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि ने भी रियल एस्टेट क्षेत्र को सहारा दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक भारतीय रियल एस्टेट उद्योग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।
  • निवेशक का भरोसा: भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और नीतियों ने निवेशकों का विश्वास बनाए रखा है, जिससे पूंजी प्रवाह में वृद्धि हुई है।
  • मुद्रास्फीति से बचाव: अनिश्चितता के समय में, संपत्ति को अक्सर मुद्रास्फीति से बचाव के रूप में देखा जाता है, जिससे निवेशक इसमें निवेश करना सुरक्षित मानते हैं।

बढ़ती मांग, सीमित आपूर्ति और मजबूत घरेलू आर्थिक

कुल मिलाकर कहा जाए तो वैश्विक स्थिरता और संघर्ष के बावजूद, भारत के मेट्रोपॉलिटन शहरों में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ रहे हैं। बढ़ती मांग, सीमित आपूर्ति और मजबूत घरेलू आर्थिक कारक इस वृद्धि के प्रमुख चालक हैं। जबकि वैश्विक अनिश्चितताएं अप्रत्यक्ष रूप से निवेशकों के व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं, भारतीय संपत्ति बाजार अपनी आंतरिक मजबूती और मांग के कारण फिलहाल तेजी के रुख पर है। हालांकि, निवेशकों को बाजार के रुझानों और व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने की सलाह दी जाती है।

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