नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में किसानों के अधिकारों पर पहली वैश्विक संगोष्ठी का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में 59 देशों के प्रख्यात वैज्ञानिक और किसान शामिल हुए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया का कृषक समुदाय फसल विविधता का सच्चा संरक्षक है। इस दिशा में किसानों के पास असाधारण शक्ति और जिम्मेदारी है। उन्होंने पौधों और प्रजातियों की कई किस्मों की रक्षा और उन्हें पुनर्जीवित करने के किसानों के प्रयास की सराहना की।
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राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विशाल विविधता वाला देश है। इसका क्षेत्रफल भले ही विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत लेकिन दुनिया की 7 से 8 प्रतिशत जैव प्रजातियां यहीं है। भारत की समृद्ध कृषि-जैव विविधता वैश्विक समुदाय के लिए एक खजाना रही है। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों ने कड़ी मेहनत और उद्यमिता से पौधों की स्थानीय किस्मों का संरक्षण किया है। जंगली पौधों को घरेलु उपयोगी बनाया है और पारंपरिक किस्मों का पोषण किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास से भारत 1950-51 के बाद से खाद्यान्न, बागवानी, मत्स्य पालन, दूध और अंडे के उत्पादन को कई गुना बढ़ा पाया है। इसका राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा पर स्पष्ट प्रभाव पड़ा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि-जैव विविधता संरक्षकों और मेहनती किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निमार्ताओं के प्रयासों ने सरकारी समर्थन के साथ मिलकर देश में कई कृषि क्रांतियों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रौद्योगिकी और विज्ञान विरासत ज्ञान के प्रभावी संरक्षक और संवर्द्धक के रूप में काम करते रहेंगे।