Political News:ऐसे तो पूरा विपक्ष जेल से ही करेंगा चुनाव प्रचार
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Political News:ऐसे तो पूरा विपक्ष जेल से ही करेंगा चुनाव प्रचार

Political News:जिस तरह से आजकल ईडी और सीबीआई लगातार कार्रवाई कर रही है उससे लगने लगा है कि पूरा विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार जेल से ही करेंगे। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद में गत बुधवार को 16 विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बैठक की। यहां तय हुआ कि अडाणी मामले की जांच को लेकर एक चिट्ठी लिखी जाएगी, जिस पर सभी विपक्षी सांसदों के हस्तक्षर होंगे।

जब विपक्षी दलों के नेता मार्च के लिए निकले, तो उन्हें ईडी दफ्तर से पहले ही रोक लिया गया। खड़गे बोले- श्हम तो सिर्फ ईडी के दफतर जाकर अडाणी मामले की डिटेल इन्वेस्टिगेशन के लिए शिकायती पत्र देना चाहते थे। हमें रोकना कौन सा लोकतंत्र है। विपक्षी नेता अडाणी मामले की जांच ईडी से क्यों कराना चाहते हैं? ईडी की शक्तियां क्या हैं और विपक्षी नेता ईडी को लेकर इतने बेचैन क्यों हैं?

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Political News:आई को बताते है कि जब कुछ राज्यों ने सीबीआई को बिना परमिशन घुसने से रोक दिया था। इनमें पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल और मिजोरम जैसे राज्य शामिल थे। इसका मतलब साफ है कि दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत बनी सीबीआई को किसी भी राज्य में घुसने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी है। हां, अगर जांच किसी अदालत के आदेश पर हो रही है तब सीबीआई कहीं भी जा सकती है। पूछताछ और गिरफ्तारी भी कर सकती है। करप्शन के मामलों में अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को उनके विभाग से भी अनुमति लेनी होती है।

इसी तरह नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी यानी एनआईए को बनाने की कानूनी ताकत एनआईए एक्ट 2008 से मिलती है। एनआईए पूरे देश में काम कर सकती है, लेकिन उसका दायरा केवल आतंक से जुड़े मामलों तक सीमित है।

इन दोनों से उलट ईडी केंद्र सरकार की इकलौती जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर केस चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। ईडी छापा भी मार सकती है और प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकती है। हालांकि, अगर प्रॉपर्टी इस्तेमाल में है, जैसे मकान या कोई होटल तो उसे खाली नहीं कराया जा सकता।

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में ईडी जिसे गिरफ्तार करती है, उसे जमानत मिलना भी बेहद मुश्किल होता है। इस कानून के तहत जांच करने वाले अफसर के सामने दिए गए बयान को कोर्ट सबूत मानता है, जबकि बाकी कानूनों के तहत ऐसे बयान की अदालत में कोई वैल्यू नहीं होती।

18 साल में 147 प्रमुख नेता ईडी के शिकंजे में, इनमें 85 प्रतिशत विपक्षी नेता

Political News:पिछले साल अग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि ईडी ने पिछले 18 साल में 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की। इनमें 85 प्रतिशत विपक्षी नेता थे। वहीं 2014 के बाद एनआईए शासन के 8 सालों में नेताओं के खिलाफ ईडी के इस्तेमाल में 4 गुना बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान 121 राजनेता जांच के दायरे में आए जिनमें 115 विपक्षी नेता हैं। यानी इस दौरान 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई हुई।

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