राणा सांगा को गद्दार कहने पर अखिलेश-रामजीलाल फंसे, कोर्ट पहुंचा मामला

राजनीति में आजकल इतिहास के पन्ने पलटे जा रहे हैं। नेता अपने वोटरों को लुभाने के लिए हिस्टरी भी क क्रिएट कर रहे हैं। यही कारण है कि औरंगजेब से लेकर न जाने कितने राजा महाराजाओं को लेकर वाद विवाद हो रहा है। अब राणा सांगा को गद्दार कहने के मामले में सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन में सोमवार को अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने सिविल वाद दायर किया। सिविल जज सीनियर डिवीजन ने फाइल को अग्रिम आदेश के लिए रख लिया।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह बोले
इस बाबत अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से लगातार समाचार पत्रों व सोशल मीडिया से जानकारी मिली कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को गद्दार बोला हैं। अब उनका समर्थन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कर रहे हैं।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि ब्रिटिश सरकार के अधिकारी एएस बके बेबरिज ने बाबरनामा का अंग्रेजी में अनुवाद किया है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि बाबर को इब्राहिम लोदी के विरुद्ध पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी ने भारत आने के लिए आमंत्रित किया था और वर्ष 1884 के लाहौर गजेटियर के पेज संख्या- 20 पर भी यही तथ्य लिखा है कि बाबर को इब्राहिम लोदी के विरुद्ध दौलत खान लोदी ने बुलाया था।
जब ब्रिटिश सरकार के 100-150 साल पुराने अभिलेखों में यह लिखा है कि बाबर को दौलत खान लोदी ने भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था तो किन दस्तावेजों के आधार पर रामजीलाल सुमन यह दावा कर रहे हैं कि बाबर को इब्राहिम लोदी के विरुद्ध राणा सांगा ने आमंत्रित किया था। सुमन के बयान का समर्थन अखिलेश यादव भी कर रहे है। बाबरनामा का विश्लेषण करने पर यह पता चलता है कि बाबर व राणा सांगा के बीच में युद्ध 11 फरवरी 1527 से 17 मार्च 1527 तक चला। बाबर का कैम्प खानवा में पहाड़ी के निकट था।

सीकरी किले पर हुआ अंतिम निर्णायक युद्ध
बाबरनामा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि 17 मार्च 1527 को अंतिम निर्णायक युद्ध सीकरी किले पर लड़ा गया, जिसमें राणा सांगा घायल हो गए थे और सीकरी के कामाख्या माता मंदिर परिसर (जामा मस्जिद) में 250-300 कब्रें उन्हीं मुगल सैनिकों की हैं जो कि बाबर-राणा सांगा के मध्य हुए युद्ध में मारे गए थे।
उन्होंने न्यायालय से मांग की है कि न्यायालय द्वारा यह उद्घोषणा की जाए कि बाबर को इब्राहिम लोदी पर आक्रमण करने के लिए दौलत खान लोदी ने भारत आमंत्रित किया था न कि राणा सांगा ने।

 

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