News: भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सेवा, वैश्विक स्तर पर बना मॉडल प्रणाली

News: भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सेवा अब धीरे-धीरे सात से अधिक देशों में अपनी पहुंच बढ़ा ली है, जिसकी वजह से यह वैश्विक स्तर पर डिजिटल भुगतान की एक मॉडल प्रणाली बन गया है। UPI ने न केवल भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है, साथ ही साथ इसे वैश्विक स्तर पर अपनाने से कई देशों में नकदी पर निर्भरता भी कम हुई है और पारदर्शिता बढ़ी है।

UPI वर्तमान में निम्नलिखित देशों में उपलब्ध है:
– फ्रांस: यूरोप में पहला देश जो UPI को अपनाने वाला देश बना।
– संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
– सिंगापुर
– नेपाल
– श्रीलंका
– मॉरीशस
– भूटान
– मालदीव: हाल ही में राष्ट्रपति मुइज़ू के नेतृत्व में UPI सेवा शुरू किया गया।

ये देश भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली को अपनाकर अपने वित्तीय लेनदेन को तेज, सुरक्षित और समावेशी बना रहे हैं।

वित्तीय समावेशन में योगदान:
– भारत में प्रभाव: UPI ने 390 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के इस्तेमाल साथ भारत में डिजिटल भुगतान को क्रांतिकारी स्वरूप बना दिया है, जो कुल लेनदेन का 75% से अधिक हिस्से को संभालता है। यह प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रही है, जिससे अनबैंक्ड और अंडरबैंक्ड आबादी को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ा जा रहा है।
वैश्विक मॉडल: UPI की सफलता ने इसे एक वैश्विक मॉडल के रूप में स्थापित किया है। यह प्रणाली त्वरित, सुरक्षित और कम लागत वाले लेनदेन को सक्षम बनाती है, जो विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए उपयोगी है।
-नकदी पर निर्भरता में कमी: UPI ने नकदी आधारित लेनदेन को कम करके पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है, जैसा कि कैरिबियाई क्षेत्र में हाल की प्रगति से देखा जा सकता है।

इसका वैश्विक प्रभाव:
-UPI ने भारत को त्वरित भुगतान में वैश्विक नेता बनाया है, जो वैश्विक स्तर पर 46% त्वरित भुगतान लेनदेन का हिस्सा है।
– 60 से अधिक देश डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) विकसित कर रहे हैं, जिसमें UPI जैसे भुगतान सिस्टम शामिल हैं, जो भारत के मॉडल से प्रेरित हैं।
भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की पहल ने UPI को वैश्विक स्तर पर अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निष्कर्ष:
UPI न केवल भारत में डिजिटल भुगतान का पर्याय बन गया है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर वित्तीय समावेशन और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का एक मॉडल भी है। इसके विस्तार से न केवल भारत बल्कि अन्य देशों में भी आर्थिक पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा मिल रहा है।

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