Big Breaking: नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने वर्ष 2025 में यह स्पष्ट किया था कि मोदी सरकार की स्वास्थ्य नीति की आधारशिला ‘समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली’ थी। उन्होंने देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों और नए चिकित्सकों से इस नीति को गहराई से समझने का आह्वान किया था।
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श्री नड्डा ने यह बात कर्नाटक के बेलगावी स्थित केएलई अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के 15वें दीक्षांत समारोह में कही थी। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तैयार की गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति केवल उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह निवारक, पुनर्वास, वृद्धावस्था देखभाल और संवर्धनात्मक स्वास्थ्य सेवाओं को भी समान रूप से महत्व देती है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी भी उपस्थित रहे थे। दीक्षांत समारोह में टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के उप निदेशक डॉ. शैलेश वी. श्रीखंडे को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की गई थी, उन्हें चिकित्सा विज्ञान में उनके विशिष्ट योगदान के लिए यह सम्मान मिला था।
श्री नड्डा ने युवा चिकित्सकों को समाज की ज़रूरतों के प्रति संवेदनशील रहने और देश की स्वास्थ्य नीतियों की गहरी समझ विकसित करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को किसी भी रूप में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मोदी सरकार द्वारा 1.77 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए थे, जो मरीजों के लिए संपर्क का पहला बिंदु बने।
उन्होंने बताया था कि 30 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक व्यक्ति की निवारक जांच की व्यवस्था भी की गई थी ताकि बीमारियों को शुरुआती चरण में ही पकड़ा जा सके। नड्डा ने यह भी कहा था कि पहले चिकित्सा की अलग-अलग शाखाएं एक-दूसरे को मान्यता नहीं देती थीं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया गया। दिल्ली एम्स में स्थापित एकीकृत चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र इसी सोच का परिणाम था।