Health News: कोविड के बाद अस्थमा के मामले बढ़ेः बिमारी से लड़ाई में इनहेलर बने वरदान

Noida:  अस्थमा दबे पांव बच्चों और वयस्कों की सांसों को कमजोर कर रहा है। वही सांस जिनका सीधा संबंध प्रदूषण और धूल मिट्टी के कण से है। कोरोना वायरस ने लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करके अस्थमा को और घातक बनाने का कार्य किया है। इन्हीं चीजों को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन अस्थमा दिवस पर 2025 पर लोगों को जागरूक कर रहा है और इस रोग के समुचित उपचार की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। विश्व अस्थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इस वर्ष यह 6 मई को मनाया जाएगा। इस वर्ष की थीम है ‘सभी के लिए इनहेल्ड उपचार सुलभ बनाएं’।
फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. राजेश कुमार गुप्ता ने बताया,वह प्रतिदिन लगभग 15 से 20 अस्थमा से पीड़ित मरीजों का उपचार करते हैं। इनमें बच्चे और युवा दोनों ही बराबर संख्या में होते हैं। पिछले तीन वर्षों में बच्चों में अस्थमा के मामले बढ़े हैं। कोविड के बाद कई ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्हें पहले हल्के एलर्जी के लक्षण होते थे, लेकिन अब उनमें अस्थमा के अटैक की फ्रीक्वेंसी और तीव्रता बढ़ गई है।ष्
वहीं अगर अस्थमा के प्रमुख कारणों की बात करें तो ठंडी हवा, धूल, परागकण और प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारक इसके मुख्य ट्रिगर हैं। गर्मी का मौसम आमतौर पर राहत देने वाला होता है लेकिन गेहूं की कटाई के समय वातावरण में परागकण की मात्रा बढ़ जाने से लक्षण बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मास्क पहनना और घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना पर्यावरणीय ट्रिगर्स से बचाव में मददगार साबित होता है। अस्थमा के उपचार को लेकर आमजन में विभिन्न मत हैं लेकिन अस्थमा का सबसे सुरक्षित और असरदार इलाज इनहेल्ड स्टेरॉयड ही है। अस्थमा एक क्रॉनिक रोग है, जैसे मधुमेह या उच्च रक्तचाप। इनहेलर दवा को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाते हैं और इनके लंबे समय तक उपयोग से कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते, जबकि ओरल स्टेरॉयड से कई समस्याएं हो सकती हैं।

 

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