Who is Ayatollah Ali Khamenei : तीन प्रतिदिन आप ईरान और इज़राइल इस के बीच हो रहे युद्ध में आयतुल्ला अली खामेनेई नाम अखबारों पढ़ते है टीवी और रेडियो पर सुनते हैं, लेकिन वह कौन है और इस पद तक कैसे पहुंचें ये जानना भी ज़रूरी है। क्या ईरान में सर्वोच्च लीडर तक पहुँचना आसान है या मुश्किल। इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे ये पूरा पढ़ने के बाद। आयतुल्लाह अली खामेनेई ईरान में धार्मिक और राजनीतिक दोनों ही सर्वोच्च पद पर आसीन हैं। 1989 में इस्लामी क्रांति के संस्थापक आयतुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के निधन के बाद से वे इस पद पर हैं। वे ईरान में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते हैं और देश की सभी प्रमुख नीतियों, चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, पर्यावरण हो, विदेश नीति हो या राष्ट्रीय योजना, पर उनका अंतिम निर्णय होता है। वे सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ भी हैं।
आयतुल्लाह अली खामेनेई कौन हैं?
आयतुल्लाह अली खामेनेई का जन्म 1939 में ईरान के मशहद में हुआ था। उनके पिता भी एक धार्मिक विद्वान थे। खामेनेई ने बचपन से ही शिया धर्मशास्त्र, फारसी साहित्य और इस्लामी राजनीति का अध्ययन किया। 1958 से 1964 तक उन्होंने कोम शहर में इस्लाम धर्म की पढ़ाई का गहराई से पूरा किया। उन्होंने युवावस्था में ही आयतुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया और उनके प्रमुख शिष्यों में से एक बन गए। शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासनकाल के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया था।
सर्वोच्च पद तक कैसे पहुंचे?
आयतुल्लाह खामेनेई का सर्वोच्च नेता के पद तक का सफर उनके गुरु आयतुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के साथ उनके गहरे जुड़ाव और ईरान की इस्लामी क्रांति में उनकी सक्रिय भूमिका से जुड़ा है। खामेनेई ने आयतुल्लाह खुमैनी को अपना मार्गदर्शक माना और उनके क्रांतिकारी विचारों से गहरे प्रभावित थे। उन्होंने शाह पहलवी के खिलाफ खुमैनी के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। जब खुमैनी को ईरान से निष्कासित किया गया, तब भी खामेनेई ने गुप्त रूप से उनके विचारों का प्रचार किया और क्रांति को आगे बढ़ाने में मदद की। इस्लामी क्रांति में भूमिकारू 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद, जब शाह पहलवी का शासन समाप्त हुआ और आयतुल्लाह खुमैनी ईरान के सर्वोच्च नेता बने, तब खामेनेई ने नवगठित इस्लामी गणराज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे विभिन्न पदों पर रहे और अपनी निष्ठा और क्षमता का प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति का कार्यकाल
1981 में, आयतुल्लाह अली खामेनेई ईरान के तीसरे राष्ट्रपति चुने गए और उन्होंने आठ साल तक इस पद पर कार्य किया। इस दौरान उन्होंने देश के पुनर्निर्माण और इस्लामी मूल्यों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। खुमैनी के उत्तराधिकारीरू 1989 में आयतुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के निधन के बाद, सर्वोच्च नेता के पद के लिए उत्तराधिकार का सवाल उठा। खुमैनी ने अपनी मृत्यु से पहले खामेनेई को अपना संभावित उत्तराधिकारी बताया था। खुमैनी के निधन के बाद, श्असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्सश् (विशेषज्ञों की सभा) नामक एक 88 सदस्यीय धार्मिक विशेषज्ञों की संस्था ने अली खामेनेई को ईरान का दूसरा सर्वोच्च नेता चुना। उनका चुनाव लगभग सर्वसम्मति से हुआ था, जो खुमैनी के साथ उनकी निकटता और क्रांति में उनकी भूमिका को दर्शाता है।
ईरान में सर्वोच्च नेता का चुनाव कैसे होता है?
ईरान में सर्वोच्च नेता का पद वंशानुगत नहीं होता, बल्कि एक जटिल प्रक्रिया के तहत चुना जाता है।
असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स (विशेषज्ञों की सभा):
सर्वोच्च नेता का चुनाव 88 सदस्यीय श्असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्सश् द्वारा किया जाता है। इस सभा के सदस्य हर आठ साल में सीधे ईरानी नागरिकों द्वारा चुने जाते हैं।
उम्मीदवारों की योग्यता सर्वोच्च नेता बनने के लिए, उम्मीदवार को एक उच्च स्तर का धार्मिक विद्वान (‘अयातुल्लाह‘ या ‘मरजा‘) होना चाहिए, जिसमें राजनीतिक योग्यता, वफादारी और प्रशासनिक क्षमता हो।
गार्जियन काउंसिल की भूमिका
असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के चुनाव में कौन से उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं, यह ‘काउंसिल ऑफ गार्जियन‘ नामक एक अन्य शक्तिशाली संस्था तय करती है। यह काउंसिल संसद की गतिविधियों की देखरेख भी करती है। जब सर्वोच्च नेता का पद रिक्त होता है, तो असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स की बैठक बुलाई जाती है और नए नेता के चयन की प्रक्रिया शुरू होती है। चुनाव आमतौर पर आपसी सहमति से होता है, लेकिन मतदान भी हो सकता है। जीतने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 45 वोटों की आवश्यकता होती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आयतुल्लाह अली खामेनेई एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर ईरान के सर्वोच्च नेता के पद तक पहुंचे हैं। उनका यह सफर आयतुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के प्रति उनकी गहरी निष्ठा, इस्लामी क्रांति में उनकी सक्रिय भागीदारी और धार्मिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में उनकी दक्षता का परिणाम है। ईरान में उनका पद सर्वोपरि है और वे देश की सभी महत्वपूर्ण नीतियों और निर्णयों को प्रभावित करते हैं।