मेले का अनौपचारिक आगाज 22 अक्टूबर से हो चुका है, लेकिन आज गुरुवार को उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी द्वारा ध्वजारोहण के साथ इसका विधिवत शुभारंभ होगा। पुष्कर के रेतीले धोरों पर फैले इस मेले में अब तक 5,000 से अधिक पशु पहुंच चुके हैं, जिनमें 3,000 से ज्यादा घोड़े, 1,300 ऊंट और विभिन्न नस्लों की गाय-भैंसें शामिल हैं। लेकिन इन सबके बीच जयपुर के युवा पशुपालक अभिनव तिवारी द्वारा लाई गईं ये तीन छोटी गायें सबसे ज्यादा चर्चा बटोर रही हैं।
अभिनव तिवारी ने बताया, “ये पुंगनूर नस्ल की गायें आंध्र प्रदेश की मूल प्रजाति हैं, जो कम चारे पर भी स्वस्थ रहती हैं। इनकी ऊंचाई 16 इंच से लेकर 28 इंच तक है, और ये प्रतिदिन 4 से 6 लीटर दूध दे सकती हैं। मेरा उद्देश्य इन दुर्लभ देसी नस्लों का संरक्षण और प्रचार है, न कि बिक्री। पिछले छह सालों से मैं पुष्कर आ रहा हूं, लेकिन इस बार इन मिनी गायों ने तो कमाल कर दिया।” तिवारी ने साथ ही एक मिनी हॉर्स और स्कॉटलैंड की ‘सेटलैंड पोनी’ भी लाई है, जो पर्यटकों के बीच सेल्फी पॉइंट बन चुकी हैं।
मेले में ये गायें न केवल अपनी छोटी कद-काठी के कारण आकर्षक लग रही हैं, बल्कि इनकी खास बनावट और शांत स्वभाव ने भी लोगों को प्रभावित किया है। एक विदेशी पर्यटक ने कहा, “ये गायें इतनी प्यारी हैं कि लगता है खिलौने हैं! भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने वाला यह मेला अद्भुत है।” सोशल मीडिया पर भी इनकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जहां #MiniCowsPushkar और #PunganurCow जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
पुष्कर मेला, जो कार्तिक पूर्णिमा (4 नवंबर) तक चलेगा, हमेशा से पशु व्यापार, सांस्कृतिक प्रदर्शनियों और लोक नृत्यों के लिए जाना जाता है। इस बार भी 15 करोड़ रुपये का घोड़ा ‘शाहबाज’, 23 करोड़ की भैंस ‘अनमोल’ और 800 किलो वजनी मुर्रा भैंसा जैसे महंगे पशु व्यापार को गति दे रहे हैं। लेकिन छोटी गायों का आगमन देसी नस्लों के संरक्षण का महत्वपूर्ण संदेश दे रहा है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घिया ने बताया कि सभी पशुओं की डिजिटल रिकॉर्डिंग और स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित की गई है, ताकि व्यापार पारदर्शी रहे।
मेले में देश-विदेश से हजारों पर्यटक उमड़ रहे हैं, और बरसात के बावजूद ठंडक भरा मौसम आनंद दोगुना कर रहा है। पुष्कर न केवल पशुधन का उत्सव है, बल्कि भारतीय ग्रामीण संस्कृति का जीवंत चित्रण भी। यदि आप भी इस अनोखे मेले का हिस्सा बनना चाहें, तो जल्दी पहुंचें—क्योंकि ये छोटी गायें इंतजार नहीं करेंगी!

