Pollution: नई दिल्ली। अखिल भारतीय आय़ुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के अध्ययन के मुताबिक से धूल, धुएं और कुहासे का मिश्रण यानि ‘स्मॉग’ प्रदूषण की चादर बनकर सूरज की रोशनी लोगों तक पहुंचने नहीं दे रहा है। इस वजह से मानव शरीर को विटामिन-डी नहीं मिल पा रहा है जिससे छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, व्यस्क और बुजुर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर रविंद्र गोस्वामी ने बुधवार को आयोजित प्रसवार्ता में बताया कि मानव शरीर को 90 प्रतिशत विटामिन-डी सूरज की किरणों या अल्ट्रावायलेट रेज से मिलता है। शेष 10 प्रतिशत पौधों से मिलता है। उन्होंने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में विटामिन-डी की मात्रा 12-20 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर होनी चाहिए। इससे ज्यादा या कम मात्रा सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
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डॉ गोस्वामी ने बताया कि आमतौर पर, हमारा शरीर विटामिन डी का उत्पादन तब करता है जब हमारी त्वचा सूरज की रोशनी के संपर्क में आती है। ऐसा न होने पर बच्चों के शारीरिक विकास अवरुद्ध होने के साथ उनके घुटने जुड़ने और टांगे टेढ़ी होने (बो लेग) जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इससे गर्भवती महिलाओं की पेल्विस प्रॉब्लम में इजाफा होने के साथ वयस्कों (महिला और पुरुष) में थकान, कमजोरी और कमर दर्द जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। वहीं, बुजुर्गों में ऑस्टियोपोरोसिस के साथ रीढ़ संबंधी रोग हिप फ्रेक्टर व कमर झुकने जैसी समस्याओं को बढ़ा रहा है। प्रदूषण से नवजात शिशु भी प्रभावित हो रहे हैं। इससे शिशुओं को हाथ-पैरों में अकड़न या ऐंठन (हाइपो केल्सीमिक सीजर्स) हो सकते हैं। विटामिन डी की गंभीर रूप से कमी वाले लोगों के रक्त में कैल्शियम के स्तर में भी कमी होती है।
डॉ गोस्वामी ने बताया कि यूवी रेज विटामिन डी बनाने में मदद करती है। ये किरणें हमें सूरज की गर्मी से मिलती है, खासकर जब सूरज चरम पर होता है। यानि सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक। इस बीच अगर हम अपने शरीर को धूप या सनशाइन के जरिये यूवी किरणों के संपर्क में लाएं तो फायदा होगा। रोजाना 15-30 मिनट तक सुबह की धूप में बैठना चाहिए। वहीं, अगर हम कमरे में बैठकर धूप सेंकते हैं तो खिड़की या दरवाजे के शीशे से छनकर आने वाली धूप का कोई लाभ शरीर को नहीं मिलता। धूप लेते समय त्वचा पर एसपीएफ ना लगाएं और अगर एसपीएफ के बिना धूप में निकलना संभव ना हो तो कोलेकैल्सीफेरॉल सैशे का इस्तेमाल (महीने में एक बार) करें।