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बेटे और भाई में हमेशा संतुलन बनाने की कोशिश करते थे नेताजी

 

कहा जाता है कि बाप की विरात हमेशा पुत्र को मिलती है लेकिन नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश और भाई शिवपाल के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते थे। जब 2012 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री का पद दिया तो छोटे भाई शिवपाल को भी पीडब्ल्यूडी जैसा अहम मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया और प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया। रामगोपाल को भी दिल्ली की राजनीति का जिम्मा सौंप दिया। आजम खां और अमर सिंह को भी हमेशा साध कर रखा। इस तरह मुलायम सिंह यादव की सियासत में सबके लिए जगह बनी थी। यही एकता राजनीति में संदेश देने के लिए अहम थी। इस मामले में अखिलेश यादव अपने पिता से पीछे ही दिखे हैं। लिहाजा उन्हें अपने दिवंगत पिता की विरासत के साथ ही राजनीति को भी समझना और सीखना होगा। 2017 और फिर 2022 में वे अपने नेता और कार्यकतों को साध नही पाए इतना ही नही वे जनता का भरोसा भी जीतने में काफी पीछे रह गए। अखिलेश यादव ने पिता के आशीर्वाद पर सीएम बनने के बाद 5 साल का कार्यकाल पूरा जरूर किया, लेकिन उसके बाद वह 2017 में वापस नहीं लौटे।

1992 में बनाई थी समाजवादी पार्टी

धरती पुत्र के रूप में जाने वाले समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जीवन का सफर आज पूरा हो गया। सुबह करीब 8 बजे उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसके साथ ही समाजवादी विचारधारा और उत्तर प्रदेश की सियासत के युग का समापन हो गया है। 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन कर मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन को अलग दिशा दी थी। तब से वह तीन बार सीएम बने, देश के रक्षा मंत्री भी बने थे। लेकिन चैथी बार जब सीएम बनने का मौका 2012 में मिला तो अपनी जगह पर बेटे को विरासत सौंप दी।

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