विवाद की जड़: वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप
शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने सोमवार को मुंबई के वर्ली स्थित अपने विधानसभा क्षेत्र में एक प्रेजेंटेशन आयोजित किया था। इसमें उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची में हजारों डुप्लिकेट और मृत वोटरों के नाम दर्ज हैं। ठाकरे ने इसे ‘चुनावी धांधली’ करार देते हुए सत्ताधारी महायुति पर सीधा हमला बोला। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि आगामी बीएमसी चुनावों से पहले हर वार्ड में मतदाता सूची का सत्यापन करें। ठाकरे का यह प्रेजेंटेशन एक बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया, जिसमें डेटा एनालिसिस के जरिए अनियमितताओं को उजागर किया गया।
इस प्रेजेंटेशन को देखते हुए फडणवीस ने तुलना कांग्रेस नेता राहुल गांधी से की, जिन्हें विपक्षी दल अक्सर ‘पप्पू’ कहकर तंज कसते रहे हैं। सीएम ने कहा, “आदित्य का कल का प्रेजेंटेशन वैसा ही था जैसा राहुल गांधी पहले कर चुके हैं। बड़ी स्क्रीन लगाई, आगे-पीछे टहलते रहे। उन्हें महाराष्ट्र का पप्पू बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।” फडणवीस ने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार किसानों को 8,000 करोड़ रुपये की सहायता दे चुकी है और अगले 15 दिनों में 11,000 करोड़ और वितरित करने की योजना है, जिससे 90 फीसदी प्रभावित किसानों को कवर किया जाएगा।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह विवाद महाराष्ट्र में जनवरी 2026 तक होने वाले निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में और तीखा हो गया है। 2024 विधानसभा चुनावों में महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी) ने शानदार जीत हासिल की थी, जबकि महा विकास अघाड़ी (शिवसेना यूबीटी-एनसीपी एसपी-कांग्रेस) को करारा झटका लगा था। ठाकरे ने चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए कई बार ‘ईवीएम धांधली’ और वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़े के आरोप लगाए हैं। विपक्ष का दावा है कि इससे लोकतंत्र पर सवाल खड़े होते हैं।
दूसरी ओर, फडणवीस सरकार इन आरोपों को खारिज करते हुए कहती है कि यह हार स्वीकार न करने का बहाना है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है, जहां #MaharashtraPolitics और #AadityaThackeray जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
प्रतिक्रियाएं
शिवसेना (यूबीटी) ने फडणवीस के तंज पर अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के करीबी स्रोतों का कहना है कि यह सत्ताधारी दल की घबराहट का संकेत है। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “आदित्य ठाकरे युवा और जागरूक नेता हैं। ऐसे तंजों से मुद्दे दबाए नहीं जा सकते।”
महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे और फडणवीस के बीच पुरानी दुश्मनी रही है। 2019 में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद यह तल्खी और बढ़ी। हाल ही में नागपुर हिंसा और अन्य मुद्दों पर भी दोनों पक्षों के बीच टकराव देखा गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह तंज आगामी चुनावों से पहले विपक्ष को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
यह घटना महाराष्ट्र की सियासत को और रोचक बना रही है, जहां मुद्दों पर बहस के साथ-साथ व्यक्तिगत टिप्पणियां भी जोर पकड़ रही हैं।

