फाइनल में न खेलकर भी रहीं ‘सबकी हीरो’, 308 रन बनाकर चमकी थीं टूर्नामेंट में
India Women Team: नवी मुंबई। भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा सुनहरे अक्षरों में दर्ज रहेगी। डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम किया। पूरे देश में जश्न की लहर दौड़ गई, लेकिन इस ऐतिहासिक जीत के बीच जो दृश्य सबसे भावुक कर देने वाला था, वह था। भारतीय सलामी बल्लेबाज प्रतिका रावल का व्हीलचेयर पर तिरंगा थामे स्टेडियम पहुंचना।
हौसले की कहानी: चोट के बाद भी नहीं टूटा हौसला
प्रतिका रावल इस टूर्नामेंट में भारत की सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में रहीं। उन्होंने 6 पारियों में 308 रन बनाए, और भारत को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन सेमीफाइनल से पहले एंकल इंजरी के कारण उन्हें वर्ल्ड कप से बाहर होना पड़ा।
हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। व्हीलचेयर पर बैठकर स्टेडियम पहुंचीं और टीम की जीत के जश्न में शामिल हुईं। जब भारतीय टीम ने ट्रॉफी उठाई, तब प्रतिका तिरंगा थामे गर्व से मुस्कुराती दिखीं — मानो देश के हर दिल की धड़कन वहीं धड़क रही हो।
टीम ने भी उन्हें भुलाया नहीं — खिलाड़ियों ने उन्हें जश्न के बीच बुलाया, उनके साथ फोटो खिंचवाए और उनके योगदान को सलाम किया।
“मेरे कंधे पर तिरंगा है, यही मेरी पहचान” — प्रतिका रावल
मैच के बाद भावुक प्रतिका ने कहा “यह जीत मेरे लिए शब्दों से परे है। मेरे कंधे पर तिरंगा है, और यही मेरी असली पहचान है। चोट लगी, खेल नहीं सकी, लेकिन इस टीम के साथ होना ही सबसे बड़ी खुशी है। यह टीम मेरा परिवार है — और आज हमने मिलकर इतिहास रच दिया।”
उन्होंने आगे कहा “चोटें खेल का हिस्सा हैं, लेकिन असली जीत हौसले की होती है। मैं जल्द मैदान पर लौटूंगी और भारत के लिए फिर रन बनाऊंगी। यह जीत हर उस खिलाड़ी की है जिसने इस सफर में टीम के लिए दिल से खेला।”
दशकों का इंतज़ार खत्म — अब भारत ‘वर्ल्ड चैंपियन’
भारतीय महिला क्रिकेट टीम कई बार वर्ल्ड कप के करीब पहुंची, लेकिन खिताब हर बार हाथ से निकल गया।
2005, 2017 (वनडे) और 2020 (टी20) में उपविजेता रहीं
कई बार सेमीफाइनल तक पहुंचीं, पर फाइनल में जीत न मिली
लेकिन 2025 में यह सपना आखिरकार पूरा हुआ — भारत ने पहली बार महिला विश्व कप ट्रॉफी जीती और दशकों का इंतजार खत्म किया।
तीन दिग्गजों की आंखों में चमकी खुशी
फाइनल में मौजूद मिताली राज, झूलन गोस्वामी और अंजुम चोपड़ा — तीनों भारतीय महिला क्रिकेट की वो हस्तियां हैं जिन्होंने अपने करियर में वर्ल्ड कप जीतने का सपना देखा था। जैसे ही भारत ने जीत हासिल की, मैदान में मौजूद खिलाड़ियों ने इन तीनों दिग्गजों को ट्रॉफी थमाकर सम्मानित किया। यह पल न सिर्फ खेल बल्कि महिला सशक्तिकरण के इतिहास में अमर हो गया।
यह जीत सिर्फ 11 खिलाड़ियों की नहीं, बल्कि उन करोड़ों भारतीयों की थी जो हर गेंद, हर रन के साथ सांसें थामे बैठे थे। प्रतिका रावल जैसी खिलाड़ी ने साबित किया “अगर हौसला बुलंद हो, तो व्हीलचेयर भी जीत की गवाही देती है।”

