पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को तबाह करने को पूरी प्लानिंग कर ली है। सबसे बड़ा कदम पाकिस्तान के साथ चल रही सिंधु जल संधि को स्थगित करने का है। सिंधु जल समझौते के स्थगित होने से पाकिस्तान पर कितना बड़ा असर पड़ेगा, इस पर बात करना जरूरी है। बताना होगा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली है।
बता दें कि हमले में कुल 28 लोगों को जान गंवानी पड़ी जिसमें 26 पर्यटक और दो स्थानीय नागरिक शामिल है। इसके बाद से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु पानी संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के अनुसार, भारत का पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज पर नियंत्रण है जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलता है।
सिंधु नदी के सिस्टम और उसकी सहायक नदियों से पानी के इस्तेमाल और उसके बंटवारे का प्रबंधन करता है। यह पाकिस्तान के लोगों के लिए पानी की जरूरत और खेती के लिए बेहद जरूरी है। सिंधु नदी के नेटवर्क में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं।
सिंधु पानी संधि से पाकिस्तान को ज्यादा फायदा होता है क्योंकि उसे इन नदियों के कुल पानी का लगभग 80ः मिलता है और यह पाकिस्तान में खेती के लिए बहुत अहम है, खासकर पंजाब और सिंध प्रांत में। पाकिस्तान सिंचाई, खेती और पीने के पानी के लिए काफी हद तक इसी संधि से मिलने वाले पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान 23ः है और इससे इस मुल्क के 68ः लोगों को दाना-पानी मिलता है। यह साफ है कि अगर भारत किसी तरह पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकने में कामयाब रहा तो इसका बड़ा असर कृषि क्षेत्र पर होगा। कृषि वहां की अर्थव्यवस्था और आजीविका का एक अहम हिस्सा है।
फसलों के उत्पादन पर पड़े असर
यह साफ है कि अगर पाकिस्तान को पानी कम मिला तो इससे फसलों के उत्पादन पर असर पड़ेगा और खाने का संकट यानी खाद्य संकट पैदा होगा। पाकिस्तान का ग्रामीण इलाका खेती पर निर्भर है और ऐसे में वहां बड़े पैमाने पर आर्थिक अस्थिरता वाले हालात बन सकते हैं।
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