Greater Noida:  बायर्स की समस्या जस की तस, सरकार के दावे हो रहे फेल
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Greater Noida: बायर्स की समस्या जस की तस, सरकार के दावे हो रहे फेल

 

नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में अलग-अलग बिल्डर विभिन्न प्रोजेक्ट बना रहे हैं। इन सभी प्रोजेक्ट्स में लाखों लोगों ने अपने सपनों का आशियाना देखा था लेकिन आज भी उनके सपने पूरे नहीं हो पाए हैं। जिस वक्त पहली बार योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने बिल्डर और बायर्स की समस्या को प्राथमिकता के तौर पर लिया। तीन मंत्रियों की कमेटी बनाकर बिल्डर और बायर्स के बीच सुलह कराने की कोशिशें की। मकसद था कि बायर्स को उनका हक मिल जाए। प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द लोगों को घर मिले। यही कारण रहा कि योगी आदित्यनाथ बायर्स की नजरों में लोकप्रिय नेता के रूप में उभर गए और उन्हें उम्मीद होने लगी कि अब उन्हें सपनों के महल या आशियाना मिल जाएंगा। लेकिन आज भी हजारों ऐसे बायर्स जिनको फ्लैट नहीं मिले हैं और ना ही उनका पैसा मिल पा रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से सरकार को भी भ्रमित सूचनाएं देकर बता दिया जाता है कि बड़ी मात्रा में बायर्स को फ्लैट मिल चुके हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। आज भी लोग धरना प्रर्दशन करने को मजबूर है। ग्रेटर नोएडा में रविवार को बायर्स ने बिल्डर के खिलाफ प्रर्दशन किया।

संडे फंडे नही प्रदर्शन-डे
जिन लोगों ने विभिन्न बिल्डर्स की परियोजनाओं में फ्लैट खरीदे हैं वह हर रविवार यानी संडे को फंडे बनाने की वजह प्रदर्शन डे बनाते हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई सोसायटी ओं के बाहर आपको सर्विस क्लास जनता हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करती हुई दिखाई देगी। यह सभी पीड़ित इसी उम्मीद में है कि जितना प्रदर्शन करेंगे हो सकता है कि जल्द ही उन्हें फ्लैट मिल जाए मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है।

रेरा के आदेश का भी नहीं होता पालन
रेरा की ओर से बिल्डरों को आदेश दिया जाता है कि वे बायर्स का पैसा लौटा दें, लेकिन रेरा के आदेशों का भी पालन नहीं होता दिखता रहेगा। बिल्डरों के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट यानी आरसी जारी कर देता है। बावजूद इसके जिला प्रशासन रिकवरी करने में नाकाम साबित होता है। तरह तरह के बहाने बनाकर जिला प्रशासन की ओर से बायर्स को चक्कर कटवाए जाते हैं कि चक्कर लगा लगातार बार बेहद परेशान हो जाता है। तब वह भी भगवान भरोसे ही रिकवरी छोड़ देते है। खास बात ये है कि सरकारी रिकॉर्ड में ऐसा दर्शाया जाता है कि ऑर्डर होते ही पैसा बायर्स के खाते में चला गया है सब कुछ अच्छा अच्छा हो रहा है, जबकि यह सब दिखावटी ही साबित हो रहा है

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