हार के बावजूद कर्नाटक के डीजीपी को मिला तौफा, ऐसे बने CBI डायरेक्टर
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हार के बावजूद कर्नाटक के डीजीपी को मिला तौफा, ऐसे बने CBI डायरेक्टर

कर्नाटक विधानसभा चुनाव हार के बावजूद भाजपा की केन्द्र सरकार ने उन्हें तौफा दिया है। डीजीपी प्रवीण सूद को CBI का नया डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने आज यानी रविवार को उनकी नियुक्ति का आदेश जारी किया।
बता दें कि 1986 बैच के आईपीएस अफसर सूद दो साल तक इस पद पर रहेंगे। वे मई 2024 में रिटायर हो रहे हैं, लेकिन इस नियुक्ति के साथ ही उनका कार्यकाल मई 2025 तक बढ़ गया है। सीबीआई के मौजूदा डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल का कार्यकाल 25 मई को समाप्त हो रहा है। इसी दिन सूद ज्वाइन कर सकते हैं।

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यहां ये भी बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले 14 मार्च को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने उन्हें नालायक कहा था। शिवकुमार ने कहा था कि हमारे डीजीपी इस पद के लायक नहीं हैं। वह तीन साल से डीजीपी हैं, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता की तरह काम करते हैं। उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए।

शिवकुमार ने आरोप लगाया था कि सूद ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर 25 केस दर्ज किए, मगर भाजपा नेताओं पर एक भी केस दर्ज नहीं किया। हमने चुनाव आयोग से भी शिकायत की है। उन्होंने प्रवीण सूद की गिरफ्तारी की मांग की थी। शिवकुमार ने कहा था कि चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो सूद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।प्रवीण सूद हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के रहने वाले हैं। उनके पिता ओम प्रकाश सूद दिल्ली सरकार में क्लर्क थे, जबकि मां कमलेश सूद दिल्ली के सरकारी स्कूल की टीचर थीं। सूद की स्कूलिंग दिल्ली के सरकारी स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी-टेक किया।

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22 साल की उम्र में बने थे  IPS

1986 में वे 22 साल की उम्र में आईपीएस बने। उन्हें कर्नाटक कैडर आंवटित हुआ था। सर्विस के दौरान ही उन्होंने आईआईटी बेंगलुरु से पब्लिक पुलिस मैनेजमेंट में डठ। पूरा किया। पुलिस सर्विस के शुरुआती दौर में वे बेल्लारी और रायचुर में एसपी रहे। इसके अलावा बेंगलुरु और मैसूरु में वे डीसीपी के पद भी रहे।

सूद को 1996 में सीएम की तरफ से गोल्ड मेडल मिल चुका है। इसके अलावा 2002 में पुलिस पदक और 2011 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति की तरफ से पुलिस पदक दिया गया था। जून 2020 में प्रवीण सूद कर्नाटक के डीजीपी बनाए गए थे। अब ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस सरेार बनने के बाद उन पर कार्रवाई हो सकती थी।

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