प्रॉपर्टी डीलरों की दुकान बंद कराने के लिए प्राधिकरण उठाएगा सख्त कदम, औद्योगिक भूखंड बेचे तो होंगे निरस्त

Development Authority:

Noida Authority, YEIDA Plot Allotment Formalities । नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलरों ने जमीन के रेट इस कदर बढ़ा दिए है कि आम लोगों की पहुँच से ये काफी ऊपर पहुँच चुके हैं। प्राधिकरण सस्ती दरों पर जमीन इसलिए देता हैं ताकि कोई भी व्यक्ति अपनी औद्योगिक इकाई लगाकर इंडस्ट्री चलाएं, रोजगार सृजन करें लेकिन प्रॉपर्टी डीलरों ने गौतमबुद्ध नगर की फिजा ही बिगाड़ दी है। प्राधिकरण से सस्ते दरों में भूखंड लेने के बाद री-सेल में काफी मोटा मुनाफा लेकर भूखंड को बेचते हैं। जिससे सरकार की मंशा अधूरी रह रही है। अब ऐसे लोगों पर कार्रवाई की तैयार की जा रही है।
ऐसे होता है पूरा खेल
बहुत से सेक्टरों में औद्योगिक प्लॉट पर इंडस्ट्री लगाने की जगह आवंटी उद्यमी प्रॉपर्टी डीलर बनकर मुनाफा लेकर बेच दे रहे हैं। इससे प्राधिकरण की प्लॉट आवंटन करने की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। बता दें कि यह खेल नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना तीनों प्राधिकरण क्षेत्र में जमकर खेला जा रहा है। अब सर्टिफिकेट समेत कई शर्तें व नियम हैं शामिल नर, पांच नोटिस औ यमुना प्राधिकरण ने सख्ती दिखाते हुए नोटिस जारी कर दिया है। इसमें कहा ऐसा करना आवंटन नियमों के खिलाफ है। पकड़े जाने पर प्राधिकरण भूखंड निरस्त कर देगा। औद्योगिक प्लॉट प्राधिकरण से आवंटित होने के बाद इंडस्ट्री लगाने के काम आएं और खरीद फरोख्त न होने पाए इसके लिए कई नियम बने हुए हैं।
ये है प्लाॅट को बेचने की प्रक्रिया
मालूम हो कि किसी भी औद्योगिक विकास प्राधिकरण से अलॉट हुए प्लॉट को कानूनी तौर पर बेचने के लिए प्राधिकरण की मंजूरी जरूरी होती है। प्लॉट का आवंटन जिस मंशा से किया जा रहा है वह पूरा हो इसके लिए प्राधिकरण योजना के ब्रोशर में शर्तें शामिल करते हैं। प्राधिकरण बगैर उन शर्तों को पूरा किए मंजूरी नहीं देते हैं। ऐसे में प्लॉट को बेचना और खरीदना ऐसे हो रहा है कि प्राधिकरण का रोल खत्म हो जाए। दरअसल, एग्रीमेंट टू सेल और जीपीए का विकल्प प्रोपर्टी डीलरों ने निकाला हुआ है। इसके जरिए ये प्लॉट बेचे जा रहे हैं। इसमें प्राधिकरण की मंजूरी भी नहीं लेनी पड़ रही है। ऐसा होने से इंडस्ट्री मौके पर तेजी से स्थापित नहीं हो पा रही हैं। न ही रोजगार नए मौके आ रहे हैं। री-सेल में जो जो उद्यमी प्लॉट खरीद रहा है उसको ज्यादा रकम देनी पड़ रही है। जिससे उसकी पूरी पूंजी भूखंड खरीदने में चली जाती है। इसके चलते जमीन कई वर्ष तक खाली रहती हैं कहने केे लिए प्राधिकरण ने भूखंड आवंटित किया लेकिन मौके पर डेवलेपमेंट नही हो पाया। ऐसे आवंटियों को चिन्हित करके प्राधिकरण कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

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