मदरसा Act को असंवैधानिक घोषित करने के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर कल सुप्रीम फैसला
1 min read

मदरसा Act को असंवैधानिक घोषित करने के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर कल सुप्रीम फैसला

Supreme Court: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर कल यानि 05 नवंबर को फैसला करेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच फैसला सुनाएगी।

Supreme Court:

सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से कहा गया था कि हमने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया है और उसके खिलाफ कोई अर्जी दाखिल न करने का फैसला लिया है। हालांकि जहां तक मदरसा एक्ट की वैधता का सवाल है, हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक्ट के समर्थन में दलील रखी थी। आज भी मदरसा एक्ट को लेकर हमारा रुख वही है। यूपी सरकार का कहना था कि मदरसा एक्ट को पूरी तरह रद्द करने का फैसला ठीक नहीं था। इसके सिर्फ उन प्रावधानों की समीक्षा हो सकती है, जो मूल अधिकारों के खिलाफ जाते है।एक्ट में जरूरी बदलाव किए जा सकते है,पर इसे पूरी तरह रद्द करना ठीक नहीं था।

Supreme Court:

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 05 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट के इस आदेश से 17 लाख छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर विचार करते समय हाई कोर्ट ने कानून की गलत व्याख्या की।

एक मदरसे के मैनेजर अंजुम कादरी और अन्य की ओर से दायर इस याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे मनमाना बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले के चलते मदरसों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गए हैं। लिहाजा जब तक सुप्रीम कोर्ट मदरसा एक्ट की संवैधानिक वैधता पर फैसला लेता है, तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगे।

Delhi News: दो महीने बाद बढ़ी एटीएफ की कीमत, हवाई किराये में आ सकती है तेजी 

दरअसल 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताया था। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए ये कानून पारित किया गया था। हाईकोर्ट ने राज्य में मदरसों और उनमें पढ़ने वाले छात्रों की बड़ी संख्या के मद्देनजर यूपी सरकार से कहा था कि वो मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने वाले दूसरे स्कूलों में शामिल करें। इसके लिए अगर जरूरत हो तो नए स्कूल खोले जाएं।

अक्टूबर 2023 में उत्तरप्रदेश सरकार ने मदरसों की विदेश से हो रही फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 8 हजार मदरसों पर कार्रवाई की सिफारिश की थी । रिपोर्ट के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में 80 मदरसों को 100 करोड़ से ज़्यादा का विदेशी फंड मिला है।

Delhi News: सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला गरीब परिवार का बच्चा भी विदेश जाकर पढ़ाई करेगाः केजरीवाल 

Supreme Court:

यहां से शेयर करें