25000 से ज्यादा बायर्स को मालिकाना हक दिलाने को बिल्डरों पर चला रजिस्ट्री विभाग का डंडा
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25000 से ज्यादा बायर्स को मालिकाना हक दिलाने को बिल्डरों पर चला रजिस्ट्री विभाग का डंडा

नोएडा। रजिस्ट्री विभाग की और से फ्लैट बायर्स को उनका मालिकाना हक दिलाने के लिए अहम कदम उठाया है। विभाग की और से 66 बिल्डरों को नोटिस भेजकर एक माह में फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री कराने को कहा है। रजिस्ट्री नहीं कराने वाले बिल्डरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। विभाग की ओर से जल्द ही अन्य बिल्डरों को भी नोटिस जारी किये जाएंगे। फ्लैट बायर्स को मालिकाना हक और विभाग को राजस्व दिलाना है। विभाग ने स्पष्ट किया कि बिना रजिस्ट्री के फ्लैटों पर कब्जा देना नियमों के खिलाफ है।
बीएस वर्मा, सहायक महानिरीक्षक निबंधन (प्रथम), गौतमबुद्ध नगर ने बताया कि रजिस्ट्री विभाग की ओर से बिल्डर-बायर्स मामले में सर्वे कराया गया है। सर्वे में 105 बिल्डरों की सूची बनाई गई थी। सर्वे में पता चला कि कई बिल्डरों ने निर्माण पूरा करने के बाद फ्लैट खरीदारों को बगैर रजिस्ट्री के कब्जा दे दिया। विभाग के मुताबिक बिल्डरों को रजिस्ट्री करानी ही पड़ेगी। नोएडा-ग्रेनो में करीब 25 हजार फ्लैट खरीदार बिना रजिस्ट्री के फ्लैटों में रहते हैं। ऐसे में एक ओर जहां रजिस्ट्री विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं फ्लैट खरीदारों को मालिकाना हक के लिए कोई कानूनी दस्तावेज नहीं मिला है।

 

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विभाग के मुताबिक जिन फ्लैटों का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) बिल्डरों को मिल चुका है। उनकी रजिस्ट्री एक माह में कराना सुनिश्चित करनी होगी। वहीं जिन मामलों में फ्लैटों की ओसी नहीं मिली है। उसमें फ्लैट खरीदार और बिल्डर के बीच एग्रीमेंट टू सबलीज कराना सुनिश्चित करें ताकि उनके पास कोई लीगल दस्तावेज मौजूद रहे। जब प्राधिकरण का बकाया चुकता हो जाएगा तो इसके साइन करते ही रजिस्ट्री का काम भी हो जाएगा।
रजिस्ट्री विभाग की ओर से वैसे फ्लैट खरीदारों को जागरूक करने का भी काम किया जा रहा है, जिनकी अब तक रजिस्ट्री नहीं हुई है। विभाग की ओर से उनको बिल्डरों पर रजिस्ट्री का दबाव बनाने की सलाह दी जा रही है ताकि उनको मालिकाना हक मिल सके।

प्रशासन, प्राधिकरण और रजिस्ट्री विभाग ऐसे करेंगे समस्या का समाधान
कुछ दिनों में जिला प्रशासन, नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और रजिस्ट्री विभाग के बीच बैठक होगी। इसमें रजिस्ट्री की समस्याएं सुलझाने के लिए मंथन किया जाएगा। एक प्लान के तहत आगे बढने की उम्मीद है। यही नहीं बैठक में भविष्य की योजना पर भी चर्चा होगी ताकि रजिस्ट्री का काम आगे बढ़ाया जा सके।

-कुल फ्लैटों की संख्या-68466
– पंजीकृत फ्लैटों की संख्या-37953
– अपंजीकृत इकाइयों की संख्या-30517
– रजिस्ट्री विभाग की संभावित आय-896 करोड़

 

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बिल्डरों की सूचि
सेक्टर-143 लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स, लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-75 एम्स मैक्स गार्डेनिया गोल्फ सिटी, सेक्टर-137 लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-100 ग्रेनाइट गेट, सेक्टर-135 टूडे होम्स रेजीडेंसी, सेक्टर-46 गार्डेनिया एम्स डेवलपर, सेक्टर-143 सिक्का इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-78 अंतरिक्ष डेवलपर्स, सेक्टर-137 इम्पेरियल हाउसिंग, सेक्टर-119 आईवीआरसीएल, सेक्टर-93 ओमेक्स बिल्डहोम, सेक्टर-78 कलरफुल एस्टेट, नेक्सजेन इंफ्राकॉन, जीएस प्रमोटर्स, सेक्टर-108 लॉरिएट बिल्डवेल, सेक्टर-143 पैरामाउंट टावर्स, सेक्टर-168 पारस हैवन सीजंस, कैपिटल इंफ्रा, ओपुलेंट इंफ्रा, सेक्टर-45 एसडीएस इंफ्राटेक, सेक्टर-119 एल्डिको इंफ्रास्ट्रक्चर, सेक्टर-120 प्रतीक लोरल, सेकटर-144 गुलशन होम्स, सेक्टर-100 क्लाउड-9, सेक्टर-143 जीएसएस प्रोसन, सेक्टर-76 सेठी बिल्डवेल, सेक्टर-77 प्रतीक रियल्टर्स, सेक्टर-78 सनशाइन हेलियोज, महागुन रियल एस्टेट, सेक्टर-50 अंबिसंस प्रोजेक्ट्स, सेक्टर-78 द हाईड पार्क, सेक्टर-75 जेएम हाउसिंग इंफ्राटेक, ई-होम्स इको सिटी, एपेक्स ड्रीम होम्स, सेक्टर-143 थ्री सी एस्टेट्स, सेक्टर-107 सनवल्र्ड डेवलपर्स, सेक्टर-137 एमपीजी रियल्टी, सेक्टर-108 डिवाइन इंडिया, सेक्टर-75 मैक्स ब्लीज, सेक्टर-104 एटीएस टाउनशिप, सेक्टर-107 प्रतीक इंफ्रा प्रोजेक्ट्स, सेक्टर-45 प्रतीक स्टाईलोम, सेक्टर-75 मैक्स ब्लीज की दो यूनिट, सेक्टर-77 एक्सप्रेस बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स, सेक्टर-34 सुपरटेक लिमिटेड, सेक्टर-143 रानी प्रमोटर्स, सेक्टर-75 इंडोसम इंफ्रा, सेक्टर-137 पूर्वांचल प्रोजेक्ट्स, सेक्टर-75 पंचशील प्रतिष्ठा, सेक्टर-78 ओरियन इंफ्रा बिल्ड, सेक्टर-76 सेलिब्रिटी होम्स, सेक्टर-150 एस इंफ्रा, सेक्टर-42 धन्य निकेतन, सेक्टर-61 प्रतीक बिल्डटेक, सेक्टर-52 बेस्ट टेक, सेक्टर-48 मंडेश्वरी सहकारी आवास समिति, सेक्टर-77 एचआर ओरेकल, सेक्टर-61 गार्डेनिया शेल्टर्स, सेक्टर-137 पंचशील एग्जोटिका और सेक्टर-93 एन्डिको इंफ्रा।

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