अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर को खुद के लिए अवसर बनाएगी सरकार
lucknow news अमेरिका (यूएसए) और चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर को योगी सरकार खुद के लिए अवसर बनाने की तैयारी कर रही है। वैसे तो दुनिया के दो शक्तिशाली देशों के बीच अपने-अपने वर्चस्व के लिए शुरू हुआ टैरिफ वॉर पूरे देश के लिए एक मौका है।
लेकिन, योगी सरकार की कानून-व्यवस्था, वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाओं (एक्सप्रेसवे, सामान्य एवं इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अंतरराज्यीय जलमार्ग) का विस्तार, भरपूर मानव संसाधन के चलते सस्ता श्रम, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के कारण उत्तर प्रदेश की संभावनाएं अन्य राज्यों की तुलना में बढ़ जाती हैं।
सरकार इन संभावनाओं को हकीकत में बदलने का हरसंभव प्रयास भी कर रही है। सरकार नई निर्यात नीति लाने जा रही है। इसमें इन्वेस्ट यूपी को और प्रभावी एवं पारदर्शी बनाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के उत्पादों की देश-दुनिया में ब्रांडिंग के लिए सरकार ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में इंटरनेशनल ट्रेड शो भी आयोजित करती है। इस साल भी 25 से 27 सितंबर तक इसका आयोजन किया जाएगा। आयोजन का पार्टनर देश वियतनाम होगा। इसमें भारत सहित 70 देशों के लाखों लोग ब्रांड यूपी से रूबरू होंगे।
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इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए इस बार महाराष्ट्र, दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों और दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और इंदौर आदि प्रमुख शहरों एवं एयरपोर्ट्स तथा रेलवे स्टेशनों पर इनका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। देश-दुनिया में ब्रांड यूपी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रस्तावित निर्यात नीति में निर्यात संवर्धन कोष भी बनेगा।
देश के लेदर एवं फुटवियर के निर्यात में उत्तर प्रदेश का 46 फीसद हिस्सेदारी के साथ पहला स्थान है। इस स्थान को बरकरार रखते हुए इसे और ऊंचाई पर ले जाने के लिए सरकार लेदर एवं फुटवियर पॉलिसी भी लाने जा रही है। उत्तर प्रदेश तमिलनाडु के बाद ऐसा करने वाला दूसरा राज्य होगा। इस नीति के लागू होने और निर्यात बढ़ने का असर कानपुर, उन्नाव से लेकर आगरा तक पड़ेगा।
एमएसएमई सेक्टर के लिए टैरिफ वार सुनहरा अवसर
एमएसएमई सेक्टर के लिए तो यह टैरिफ वॉर सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि चीन, अमेरिका को रोजमर्रा के सामानों का सबसे बड़ा (148 अरब डॉलर) निर्यातक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन सामानों के निर्यात में चीन की हिस्सेदारी करीब 72 फीसदी है, जबकि भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2 फीसदी। ये तमाम उत्पाद एमएसएमई इकाइयों में बनते हैं। 96 लाख एमएसएमई इकाइयों के लिहाज से भी उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक है। सरकार इनमें बनने वाले उत्पादों को गुणवत्ता एवं कीमत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इनसे जुड़े लोगों के कौशल विकास के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाती है। इसका निर्यात पर असर भी पड़ा है।
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