तेजस्वी यादव के लिए आसान नही बिहार में कुर्सी की राह, बीजेपी ने बिछाए है रोड़े, क्या वाईक राजनीति में आने चाहते थे लालू के बेटे

बिहार चुनाव का बिगुल बज चुका है। अब लोग कयास लगाने लगे है कि सरकार किस की होगी। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के लिए बिहार में कुर्सी पाना कठिन होता दिख रहा है। उनकी राह में भाजपा लगातर रोड़े बिछा रही हे। जब से होटल घोटाले में दिल्ली की कोर्ट ने मुकादमा चलाने पर सहमति दी है तब से राजनीति में कई चर्चा होने लगी है। ऐसे में ये जान लेना महत्पूण है कि क्या तेजस्वी हमेशा राजनीति में आया चाहते थे। उन्होने कहा से पढाई की और जीवन में क्या उपल्ब्धियां रही जानते है…

बता दें कि तेजस्वी प्रसाद यादव, बिहार की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने कम समय में ही अपनी पहचान एक युवा और प्रभावशाली नेता के रूप में बनाई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पुत्र तेजस्वी का जन्म 9 नवंबर 1989 को गोपालगंज, बिहार में हुआ था। राजनीतिक परिवार से होने के बावजूद, उनका शुरुआती रुझान क्रिकेट की ओर था और उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए भी खेला था।

व्यक्तिगत जीवन और राजनीतिक सफर

तेजस्वी यादव अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान हैं और उनका एक बड़ा भाई तेज प्रताप यादव भी हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने दिल्ली के डीपीएस, आर.के. पुरम में पढ़ाई की, हालांकि उन्होंने नौवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। दिसंबर 2021 में, उन्होंने अपनी पुरानी दोस्त रेचल से शादी की, जिन्होंने बाद में अपना नाम बदलकर राजश्री यादव रख लिया।

तेजस्वी ने 2015 में राघोपुर विधानसभा सीट जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। उसी वर्ष, वे महागठबंधन सरकार में बिहार के उपमुख्यमंत्री बने और 2017 तक इस पद पर रहे। बाद में, अगस्त 2022 से उन्होंने फिर से उपमुख्यमंत्री का पद संभाला। कम उम्र में ही सत्ता और विपक्ष दोनों की राजनीति का अनुभव लेने के कारण उन्हें बिहार की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा माना जाता है। राजद में वह पार्टी के प्रमुख चेहरे और नेतृत्वकर्ता हैं।

आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में भूमिका

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, कई विश्लेषक इसे उनके लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति बता रहे हैं। वह महागठबंधन (Grand Alliance) के सबसे बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। चुनाव में उनकी भूमिका कई पहलुओं से महत्वपूर्ण है:

  1. नेतृत्व और चेहरा: लालू प्रसाद यादव की सक्रियता के बावजूद, तेजस्वी ही महागठबंधन का मुख्य चेहरा हैं। वह युवा मतदाताओं को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
  2. रोजगार का वादा: तेजस्वी ने बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरी देने का वादा किया है और ‘नौकरी का नवजागरण’ की बात कही है। उन्होंने 20 दिनों के भीतर एक नया कानून बनाकर हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने को अनिवार्य करने का वादा किया है, जो युवाओं के बीच एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।
  3. आक्रामक प्रचार: वह वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री पर तीखे हमले बोल रहे हैं और एक ‘दहाड़ने वाला’ मुख्यमंत्री लाने की बात कर रहे हैं।
  4. रणनीतिक पहल: उन्होंने मिथिलांचल जैसे क्षेत्रों में अपनी चुनावी रणनीति को मजबूत किया है, जहां पिछली बार राजद को कम सफलता मिली थी।

अगर महागठबंधन 2025 में सत्ता में आता है, तो तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।

तेजस्वी यादव का नाम किन मामलों में आया है

तेजस्वी यादव का नाम भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से जुड़े कुछ प्रमुख मामलों में आया है। इनमें सबसे चर्चित मामले निम्नलिखित हैं:

  1. आईआरसीटीसी घोटाला (IRCTC Scam):
    • यह मामला उस समय का है जब उनके पिता लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे।
    • आरोप है कि रांची और पुरी स्थित आईआरसीटीसी के दो होटलों का टेंडर देने में भ्रष्टाचार किया गया।
    • जांच एजेंसियों का आरोप है कि टेंडर में हेराफेरी के बदले लालू परिवार को पटना में एक कीमती जमीन मिली।
    • अक्टूबर 2025 में, दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं।
    • तेजस्वी यादव ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है, खासकर बिहार चुनाव से ठीक पहले।
  2. जमीन के बदले नौकरी घोटाला (Land for Job Scam):
    • यह मामला भी लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए का है।
    • आरोप है कि रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी देने के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली गई, जिसे लालू परिवार के सदस्यों के नाम पर दर्ज कराया गया।
    • इस मामले में भी तेजस्वी यादव आरोपी हैं और उन पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कार्रवाई की है।

इन मामलों में आरोप तय होने से आगामी चुनाव में उनकी छवि और राजनीतिक सफर पर असर पड़ सकता है, हालांकि तेजस्वी और उनकी पार्टी लगातार इन आरोपों को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताकर जनता के बीच अपनी बात रख रहे हैं।

 

यह भी पढ़े : पुलिस ने ऐसे दबोचा बाइक चोर, पहले से दर्ज है दो मुकदमें

यहां से शेयर करें