Supreme Court: मुख्यमंत्री केजरीवाल ने की अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग
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Supreme Court: मुख्यमंत्री केजरीवाल ने की अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग

Supreme Court: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में CM केजरीवाल ने अपनी अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग की है. आम आदमी पार्टी के मुताबिक सीएम केजरीवाल को अभी PET-CT स्कैन के साथ ही कई दूसरे टेस्ट से गुजरना है. इसलिए उन्होंने जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से 7 दिन का समय मांगा है. आम आदमी पार्टी ने बयान जारी करते हुए कहा कि गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल वजन सात किलो तक घट गया। उनका कीटोन लेवल बहुत ऊंचा है। ये किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में केजरीवाल की तरफ से याचिका दायर कर अंतरिम जमानत को सात दिन बढ़ाने की मांग की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा था करोड़ों मतदाता अगले 5 साल के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे. आम चुनाव लोकतंत्र को जीवन शक्ति प्रदान करते हैं. इसके महत्व को देखते हुए अभियोजन पक्ष की के उस तर्क को खारिज किया जाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जमानत देने से राजनेताओं को इस देश के सामान्य नागरिकों की तुलना में लाभकारी स्थिति में होने का फायदा मिलेगा.

एक जून तक मिली है अंतरिम जमानत
गौरतलब है कि दिल्ली शराब नीति केस में घिरे केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से इसी महीने की शुरुआत में राहत मिली थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विरोध सर्वोच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आप संयोजक को 1 जून तक अंतरिम जमानत देने का फैसला किया था। केजरीवाल को (अब समाप्त हो चुकी) दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था

।SC ने ED से पूछे थे ये सवाल (Supreme Court)
आम चुनाव से पहले गिरफ्तारी क्यों?
क्या न्यायिक कार्यवाही के बिना यहां जो कुछ हुआ है उसके संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं?
इस मामले में अब तक कुर्की की कोई कार्यवाही नहीं हुई है. यदि हुई है तो दिखाएं कि मामले में केजरीवाल कैसे शामिल हैं?
जहां तक मनीष सिसोदिया मामले की बात है तो इसमें पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं. हमें बताएं कि केजरीवाल मामला कहां है? उनका मानना है कि धारा 19 की सीमा, जो अभियोजन पर जिम्मेदारी डालती है, न कि आरोपी पर. इस प्रकार नियमित जमानत की मांग नहीं होती. क्योंकि वे धारा 45 का सामना कर रहे हैं. जिम्मेदारी उन पर आ गई है.
अब ईडी बताए कि हम इसकी व्याख्या कैसे करें? क्या हम सीमा को बहुत ऊंचा बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि जो व्यक्ति दोषी है उसका पता लगाने के लिए मानक समान हों.
कार्यवाही शुरू होने और फिर गिरफ्तारी आदि की कार्रवाई के बीच का इतने समय का अंतराल क्यों?

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