जागरूकता फैलाना ना आया काम, कम मतदान प्रतिशत का ये हैं सबसे बड़ा कारण, अब उम्मीदवारों को जनता ने उलझन में डाला
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जागरूकता फैलाना ना आया काम, कम मतदान प्रतिशत का ये हैं सबसे बड़ा कारण, अब उम्मीदवारों को जनता ने उलझन में डाला

यूपी की आठ सीटों पर दूसरे फेज का मतदान कल यानी शुक्रवार को सम्पन्न हो गया। अब कम मतदान के पीछे क्या कारण है इसका पता लगाया जा है। मतदान का प्रतिशत पिछले साल की अपेक्षा कम क्यों हुआ है? जबकि जिला प्रशासन के साथ साथ तमाम सामाजिक संस्थाएँ और उद्यमी संगठनों ने जागरूकता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देखा जाए तो 2019 और 2024 में 7.17ः मतदान का अंतर आया है। यानी 2019 में 60.49 प्रतिशत ओर 2024 में 53.21 प्रतिशत मतदान हुआ। यदि यूपी की आठो सीटों पर देखें तो सभी पर मतदान प्रतिशत कम देखने को मिल रहा है।

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कम मतदान का अहम कारण ये

इसके पीछे क्या कारण है पता लगाया जा रहा है। लेकिन जय हिंद जनाब ने जब बूथों पर मतदान प्रति”ात के कारण जानने की कोशिश की तो यही पता चला की लोगो में उत्साह नहीं है। बातचीत के दौरान काफी लोगों ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य वोट देने नहीं आए हैं। वो बस यही कहते हैं कि हमें पता है कौन जीतना है। इसलिए मतदान करने का कोई फायदा नहीं। हालांकि जो लोग मतदान करने पहुंचे। उन्होंने काफी जोश दिखाया। नोएडा के सेक्टरों में मतदान काफी स्लो रहा। हालांकि जितना असर फ्लैट बायर्स का दिखाई देना चाहिए था उतना दिखाई नहीं दिया। नोएडा की सोसायटीज में जमकर मतदान हुआ। हालांकि मतदान करते ही लोग अपनी प्लानिंग के हिसाब से घूमने निकल गए। दूसरा सबसे बड़ा कारण अत्यधिक गर्मी मानी जा रही है। इसके अलावा गौतम बुद्ध नगर में स्थानीय समस्याओं का निराकरण ना होना भी मतदाताओं के बीच निराशा भाव का कारण है। फ्लैट बायर्स में नाराजगी थी उसका भी असर रहा। ठाकुर समाज ने भाजपा को वोट ना देने का ऐलान किया था। कही न कही मतदान प्रतिशत का एक ये भी कारण हो सकता है। क्योंकि ठाकुर बिरादरी ने भाजपा को वोट नहीं दिया तो किसी को नहीं दिया। काफी संख्या में ऐसे लोग जो शुक्रवार शनिवार और रविवार की छुट्टी मिलने पर घूमने चले गए। खैर अब तो मतदान हो चुका है लेकिन जनता ने उम्मीदवारों को उलझन में डाल दिया है।

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सोसाइटीज में भाजपा का दिखा असर
शहरों में सोसायटीज के अंदर तो मतदाताओं ने मुँह खोला लेकिन ग्रामीण इलाकों में छुप छुप मतदान चलता रहा और प्रतिशत बढ़ता रहा। सिकंदराबाद और खुर्जा विधानसभा में वोट प्रतिशत नोएडा और दादरी के मुकाबले अधिक रहा है। सोसाइटीज में भाजपा का अच्छा असर देखने को मिला।

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