Azam Khan Story: समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां लगातार मीडया में सुर्खियां बटौर रहे है। मुख्य धारा की मीडिया तो नही लेकिन यूट्यूब पर चैनल उन्हें जमकर दिखा रहे है। आजम खां ने कहा बेटा जिन्दा रहे तो फिर मिलेंगे। ये शब्द उन्होंने उस वक्त कहे जब उनको और अब्दुला आजम को अलग अलग जेल भेजा जा रहा था। चलिए बताते है विस्तार से। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल के यूट्यूब चैनल दिल से विद कपिल सिब्बल में कई राज खोले। सिब्बल के सामने उनका दर्द छलक गया। उस वक्त को भी याद किया जब रामपुर जेल से उनको सीतापुर जेल भेजा गया था। उनका कहना था कि उस वक्त जब परिवार के सदस्य अलग-अलग हुए तब उनको एनकाउंटर का डर था। जब वह और उनके बेटे अब्दुल्ला दूसरी जेल में सकुशल शिफ्ट हो गए तब जाकर राहत की सांस ली।
वायरल हो रहा वीडियो
पूर्व मंत्री आजम खां और वरिष्ठ अधिवक्ता के बीच हुई बातचीत का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दोनों के बीच विस्तृत बातचीत हुई। बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी जेल यात्रा का पूरा वर्णन किया।
छात्र जीवन पर बात की, कहा जेल भी गया
आजम खां अपने छात्र जीवन की राजनीति से लेकर वर्तमान परिदृश्य पर खुलकर बात की। इसके साथ ही, अपने खिलाफ विचाराधीन 94 मुकदमों को पूरी तरह फर्जी बताया। बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान लागू हुई इमर्जेंसी में उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया।
प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह की जमकर की तारीफ
जेल में भी उस अंधेरी कोठरी में रखा गया, जहां सुंदर डाकू बंद था, जिसे बाद में फांसी दी गई। जब जमानत मिली तो मीसा का मुकदमा दर्ज कराया गया। जेल से रामपुर पहुंचे तो बीड़ी श्रमिकों व बुनकरों की आवाज बने। प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह की उन्होंने जमकर तारीफ की। मील में हड़ताल को वक्या सुनाते हुए कहा कि चैधरी साहब से उस वक्त 25000 रुपये मदद के लिए दिये थे। अब ये 25 लाख से अधिक अहमित रखते है।
2017 के बाद दर्ज हुए मुकदमें
इस दौरान वर्ष 2017 में उन पर अचानक दर्ज किए गए मुकदमों के बारे में कपिल सिब्बल के सवाल पर कहा कि पहले की सरकारों में सदन के अंदर आलोचना के बाद बाहर पक्ष-विपक्ष के नेता आत्मीयता से मिलते थे। हम लोग विपक्ष में रहते हुए भी अपने काम मुख्यमंत्री को कहते थे। पर्ची हाथ में होती थी और हाथ मिलाते वक्त पर्ची सीएम को देते थे। मगर अब बदला लेने की राजनीति हावी हो गई है।
मेरे लिए अलग गाड़ी और अब्दुल्ला को दूसरी गाड़ी, सोचकर डर लगता था
उन्होंने पिछली बार पत्नी व बेटे समेत हम तीनों को सीतापुर जेल भेजा था। दूसरी बार रात तीन बजे हमें सोते से उठाया गया। सपा नेता ने अपनी बातचीत में कहा कि मेरे लिए अलग गाड़ी और अब्दुल्ला को दूसरी गाड़ी में बैठाया गया। मैंने जेल में सुन रखा था कि एनकाउंटर हो रहे हैं, ऐसे में जो पिता होगा वह अपनी औलाद को लेकर पीड़ा समझ जाएगा। उन्होंने कहा कि उस वक्त हम दोनों गले लगकर जुदा हुए, मैंने कहा बेटे जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।
पाकसाफ होकर ही हाउस में जाऊं
मुझे लगता नहीं था कि हम मिल पाएंगे। आगे की राजनीति पर उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा जब तक सरकार आए तब तक मेरे ऊपर से मुकदमों का दाग हट जाए। मैं मुजरिम के रूप में हाउस में न जाऊं। कहा कि मैंने यूनिवर्सिटी बनाई यही मेरा गुनाह है। मुझे जेल में नहीं फांसीघर में रखा गया।

