Noida । एक देश, एक चुनाव की अवधारणा को लेकर भाजपा लगातार काम कर रही है। इससे लोकतंत्र को अधिक व्यावहारिक और व्यय-कुशल बनाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है। बशर्ते इसके कार्यान्वयन की योजना व्यापक विचार-विमर्श और सर्वसम्मति से की जाए। दरअसल, मुख्य अतिथि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने नोएडा के सेक्टर- 91 स्थित पंचशील बालक इंटर कॉलेज आॅडिटोरियम में रविवार को एक राष्ट्र, एक चुनाव विषय पर प्रबुद्ध समागम में यह बातें कही।
उन्होंने ने कहा कि बार-बार चुनाव से देश का विकास और जनकल्याण की योजनाएं बाधित होती हैं। पिछले 30 सालों से देखें तो कोई ऐसा वर्ष नहीं रहा जिसमें किसी एक राज्य का चुनाव संपन्न नहीं हुआ हो। अनियंत्रित तरीके से होने वाले यह चुनाव देश की प्रगति में स्पीड ब्रेकर का काम करते हैं। हमें एक साथ चुनाव की प्रक्रिया अपनाकर, ऐसे गतिरोधकों को उखाड़ना है।
इस सुधार को अपनाकर, देश के राजनीतिक एजेंडा में बड़ा बदलाव आएगा। क्योंकि चुनाव, विकास के मुद्दे पर होंगे और पांच साल में एक बार चुनाव होने से राजनेताओं की जवाबदेही बढ़ेगी। यह कोई नया विचार नहीं है बल्कि 1952 से लेकर 1967 तक चार चुनाव देश में इसी प्रक्रिया से संपन्न हुए हैं। सरकार की ओर से तैयार इस विधेयक के सभी पहलुओं पर गहन विचार विमर्श के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।
समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से इस प्रस्ताव पर सुझाव मांगे, जिसमें 47 दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, 32 दलों ने समकालिक चुनाव के पक्ष और 15 ने इसका विरोध में राय दी।
चुनावी खर्च की ही बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक केवल 2024 के लोकसभा चुनावों में ही एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए, जो देश के वित्तीय संसाधनों पर एक बड़ी लागत को दशार्ता है। इसके अतिरिक्त, एक रिपोर्ट के अनुसार यदि 2024 में देश में एकसाथ चुनाव हुए होते तो यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि कर सकता था, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5 लाख करोड़ रुपये जितना होता। ऐसा होने से एक ही बार में अधिकांश लोगों के चुनाव लड़ने से लोगों को अवसर मिलेगा। वहीं इस कार्यक्रम के बाद भाजपा के नेताओं ने नोएडा जिलाध्यक्ष महेश चैहान के प्रयासों को सरहाना की।
परिवारवादी पार्टियों को एक राष्टकृ- एक चुनाव के फैसले से होगी दिक्कतरू डॉ डी.के गुप्ता
फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन और कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ डी.के गुप्ता ने परिवारवादी पार्टियों को एक राष्टकृ- एक चुनाव के फैसले से दिक्कत हो सकती है लेकिन पांच साल में एक बार मतदान से वोट की ताकत बढ़ेगी। शासन प्रशासन में गुड गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा। चुनावों के दौरान होने वाले प्रचार से वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। बड़ी मात्रा में पोस्टर, बैनर और अन्य प्रचार सामग्री का उपयोग होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। एक साथ चुनाव होने से इस प्रदूषण में भी कमी आएगी। बार-बार चुनावों से न केवल सरकारी तंत्र बल्कि आम जनता का भी समय और ऊर्जा खर्च होती है। एक साथ चुनाव कराने से लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए बार-बार अपने काम से छुट्टी नहीं लेनी पड़ेगी।
One country, one election:
एक साथ होने वाले चुनाव दिला सकते हैं अधिक खर्च और समय से मुक्ति
कार्यक्रम आयोजक डॉ डी.के गुप्ता ने बताया कि एक देश एक चुनाव की धारणा नई नहीं है। क्योंकि आजादी के बाद वर्ष 1950 में देश गणतंत्र बना। वर्ष 1951-52 से 1967 के बीच लोकसभा के साथ ही राज्यों के विधानसभा चुनाव पांच वर्ष में होते रहे थे। अब भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। जिनमें से अधिकांश की विधानसभाओं का कार्यकाल अलग अलग समय पर समाप्त होता है। ऐसे में देश में लगभग हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के अनुसार पिछले एक दशक में लगभग हर साल औसतन 5 से 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं। जबकि लोकसभा चुनाव हर पांच वर्ष में एक बार होते हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव अक्सर असमय भंग होने, राष्ट्रपति शासन या विभिन्न कारणों से समय से पहले भी हो जाते हैं। भारत में करीब 99 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों पर लगभग 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए थे। वन नेशन वन इलेक्शन से इस खर्च में 30-35 फीसदी तक की कमी आएगी। इस तरह राज्य विधानसभा चुनावों में भी प्रति राज्य औसतन 5000 से 10,000 करोड़ तक खर्च होता है। अगर सारे चुनाव एक साथ हों, तो चुनाव आयोग सरकार और राजनीतिक दलों के खर्चों में भारी कमी आएगी।
विकास कार्य को लगेंगे पंखरू कालू राम चौधरी
कार्यक्रम संयोजक बार एसोसिएशन गौतम बुद्ध नगर के पूर्व अध्यक्ष कालू राम चौधरी ने बताया कि हर चुनाव के दौरान लाखों सरकारी कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी पर लगाया जाता है। जिससे उनके नियमित काम प्रभावित होते हैं। एक साथ चुनाव होने से यह समस्या एक बार में ही हल हो जाएगी और प्रशासनिक मशीनरी सुचारू रूप से काम कर सकेगी। बार-बार आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्य रुकते हैं। एक ही समय पर सभी चुनाव होने से सरकार के पास निरंतर विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए पांच साल का स्पष्ट समय होगा। इससे परियोजनाएं समय पर पूरी हो सकेंगी और जनता को जल्द लाभ मिल सकेगा।
कार्यक्रम में यह रहे मौजूद
इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डॉ. महेश शर्मा, राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर, पूर्व परिवहन मंत्री एवं विधान परिषद सदस्य अशोक कटारिया, विधायक नोएडा एवं भाजपा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष पंकज सिंह, विधायक दादरी तेजपाल नागर, विधायक जेवर धीरेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कैप्टन विकास गुप्ता, पूर्व विधायक एवं मंत्री नवाब सिंह नागर, हरीश चंद भाटी, विमला बॉथम, भाजपा महानगर अध्यक्ष महेश चैहान, भाजपा जिला अध्यक्ष गौतम बुध नगर अभिषेक शर्मा आदि मौजूद रहे।
कार्यकम में इन संस्थाओं का भी रहा विशेष सहयोग
समारोह में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पूर्व अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, फोनरवा ( फेडरेशन आॅफ नोएडा रेजि“डेंट वेलफेयर एसोसिएशन), डीडीआरडब्ल्यूए, नोएडा एंप्लॉयी एसोसिएशन, भारतीय चिकित्सा संघ, फिक्की, एसोचैम, लोकमंच, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, समाजसेवी संस्था आकांक्षा, पंजाबी क्लब, व्यापार मंडल, दिल्ली-एनसीआर, अग्रवाल मित्र मंडल, युगा व्यापार मंडल, श्री रामलीला मित्र मंडल, जीएनआईओटी समूह, संभावी महामुद्रा समाज समिति ध् पोरवाल समाज समिति, शाहू समाज, माहेश्वरी समाज, माथुर समाज, राजस्थान कल्याण परिषद, चैसैनी समाज, वर्मा समाज, सूरी समाज, नोएडा वैश्य केंद्र, केसरवानी समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रोमिथेस स्कूल, इंफोसिस, श्री राम ग्लोबल स्कूल, आर.डी. पब्लिक स्कूल, आनंदिता हेल्थकेयर सेक्टर-80, रोटरी क्लब्स, दादरी रोटरी क्लब, दिल्ली अचीवर्स उत्तर प्रदेश रोटरी क्लब,दिल्ली रिवरसाइड रोटरी क्लब, नोएडा सेंट्रल उत्तर प्रदेश रोटरी क्लब, नोएडा सिटी उत्तर प्रदेश रोटरी क्लब, नोएडा एलीगेंस रोटरी क्लब, नोएडा उत्तर प्रदेश रोटरी क्लब, ग्रेटर नोएडा रोटरी क्लब संस्था के प्रतिनिधि का विशेष सहयोग रहा।