अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि मीडिया में भाजपा और सरकार द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। भाजपा, आरएसएस का मानना है कि एक बात को तब तक बोलते रहो, जब तक लोग सच न मान लें। कितना भी गलत बोलेंगे लोग आखिरकार उसे सच मानने लग जाएंगे। कुछ बातें ऐसी हैं जिनको लेकर ये सालों से लगे हैं फिर भी निचोड़ नहीं निकल रहा। इनका प्रयास लोगों के असली मुद्दे जो आम नागरिक की जिंदगी को छूते हैं उन सब बातों से ध्यान भटकना हैं।
सांसद कुमारी सैलजा भोपाल में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रही थी। नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट पेश की है। गांधी परिवार पर लगे आरोपों को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा ने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस मौके पर मुकेश नायक और पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े भी मौजूद थे। कुमारी सैलजा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला देश के सामने मौजूद ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने और देश को गुमराह करने के लिए भाजपा की साजिश है। ये सरासर एक राजनीतिक प्रतिशोध है। सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र कुछ और नहीं बल्कि जनता का ध्यान बेरोजगारी, गिरती जीडीपी और सामाजिक अशांति से भटकाने, जनता को भ्रमित करने और बरगलाने के लिए गढ़ा गया एक झूठ है।
बिना पैसे के पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनाया गया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि आर्थिक संकट, लोगों के मुद्दों और विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियों- अमेरिका, चीन और बांग्लादेश से ध्यान भटकाने के लिए उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। यह कानूनी प्रतिशोध के अलावा कुछ और नहीं है। अगर कोई कंपनी कर्ज से छुटकारा पाना चाहती है तो वह एक नई कंपनी बनाती है और उस कर्ज को नई कंपनी में ट्रांसफर करती है। कंपनी कानून के मुताबिक यह कानूनन सही है। जब पैसा ही नहीं है तो इसमें लॉन्ड्रिंग कहां है? अगर कोई अपराध हुआ है तो वह दो मास्टरमाइंड ने किया है, मोदी जी और अमित शाह, जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा प्रचार करके कानून का दुरुपयोग किया है।
सरकार ने ईडी को बना लिया है अपना विभाग
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को जवाब देना चाहिए कि एजेंसी ने ईडी के किसी सहयोगी या भाजपा नेता को क्यों कुछ नहीं हुआ। यह बदले की राजनीति, धमकी, उत्पीड़न और भय फैलाने की राजनीति है। हमें कितना भी चुप कराने की कोशिश करें, हम चुप नहीं होंगे। जो दूसरों को डराने की कोशिश करते हैं, वे खुद डरे हुए हैं। यह एक राजनीतिक साजिश है और कांग्रेस पार्टी इसका डटकर सामना करेगी।
लीज पर दी गई संपत्तियां स्वामित्व वाली संपत्ति नहीं होती
1937 में, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया, जिसके हिंदी और उर्दू संस्करण नवजीवन और कौमी आवाज़ शीर्षक से प्रकाशित हुए। इस अखबार के पीछे महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव और रफी अहमद किदवई थे। अंग्रेजों को इस अखबार से इतना खतरा महसूस हुआ कि उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नेशनल हेराल्ड पर प्रतिबंध लगा दिया और यह प्रतिबंध 1945 तक चला। अखबार का प्रबंधन करने के लिए, 1937-38 में एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) का गठन किया गया था। ऐसी कंपनी लाभांश वितरित नहीं कर सकती, वेतन नहीं दे सकती या शेयरधारकों के लिए लाभ नहीं कमा सकती। इसके शेयर व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बेचे जा सकते और अगर हस्तांतरित किए जाते हैं, तो उन्हें केवल किसी अन्य गैर-लाभकारी कंपनी को ही जाना चाहिए। एजेएल अपनी स्थापना के बाद से लगातार अस्तित्व में है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि एजेएल के पास छह शहरों दिल्ली, पंचकूला, मुंबई, लखनऊ, पटना और इंदौर में अचल संपत्तियां हैं, लेकिन केवल लखनऊ में ही इसकी संपत्ति है। अन्य सभी संपत्तियां केवल समाचार पत्र के संचालन के लिए एजेएल को लीज पर दी गई थीं। यह आरोप कि एजेएल के पास हजारों करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है, निराधार है, क्योंकि लीज पर दी गई संपत्तियां स्वामित्व वाली संपत्ति नहीं होती हैं। कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस ने आधिकारिक फाइलिंग में लोन की घोषणा की थी और लेन-देन को सार्वजनिक किया था। सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत, जिसे 2012 में चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था, बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगभग तीन वर्षों तक जांच की गई। अगस्त 2015 में, ईडी ने कोई गड़बड़ी नहीं पाई और फाइल बंद कर दी। मोदी सरकार ने तत्कालीन ईडी निदेशक को हटा दिया और सितंबर 2015 में मामले को फिर से खोल दिया, जो राजनीतिक प्रतिशोध का एक स्पष्ट उदाहरण है।