Good News: 17 दिन बाद खुल गई सुरंग, बाहर आए 41 मजदूर
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Good News: 17 दिन बाद खुल गई सुरंग, बाहर आए 41 मजदूर

  • 400 घंटे की जंग के बाद मौत के मुंह से निकलें 41 श्रमिकों के परिजनों ने मनाई दीपावली
  • भारत माता की जय’ के लगे नारे; सीएम ने लगाया गले

Good News: देहरादून। उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने का अभियान मंगलवार देर रात लगभग पूरा हो गया। टनल के अंदर से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। 17 दिन तक चले बचाव अभियान के बाद मंगलवार को वह ‘मंगलघड़ी’ आई जिसका ना सिर्फ मजदूरों के परिवारों बल्कि पूरे देश को इंतजार था और मुश्किलों की चट्टान तोड़कर श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। मौके पर सीएम पुष्कर धामी और केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह मौजूद रहे।

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400 से अधिक घंटे तक देसी-विदेशी मशीनों और एक्सपर्ट ने मुश्किलों और चुनौतियों से भरे मिशन में हर बाधा को पार करते हुए मजदूरों को धीरे-धीरे बाहर निकाला गया। मलबे में 800 एमएम की पाइप डालकर एक स्केप टनल बनाया गया जिसके जरिए मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को पूरा किया। Uttarkashi Tunnel Accident:

टनल के भीतर और बाहर 41 एंबुलेंस को पहले तैनात कर दिया था। मजदूरों को बाहर निकालने के बाद सीधे अस्पताल ले जाया गया। हेल्थ चेकअप और आवश्यक इलाज के बाद ही उन्हें घर भेजा जाएगा। सुरंग में सिलक्यारा छोर पर करीब 60 मीटर तक मलबे में सुराख किया गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत कई एजेंसियों ने एक साथ मिलकर दिन रात काम किया। करीब 50 मीटर की ड्रिलिंग आॅगर मशीन से की गई थी। इसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग के जरिए खुदाई की गई। रैट माइनर्स ने बेहद मुश्किल परिस्थिति में काफी तेजी से काम किया और उस काम को कर दिखाया जिसमें मशीन भी फेल हो गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने फोन कर दी मुख्यमंत्री धामी को बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिल्क्यारा में 41 के 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाले जाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर अपनी शुभकामनाएं दी। प्रधानमंत्री ने इस दौरान श्रमिकों के बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी ली। उन्होंने मुख्यमंत्री से जाना कि सुरंग से निकालने के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य देखभाल, घर छोड़ने व परिजनों आदि के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि सभी श्रमिकों को सुरंग से निकलने के बाद सीधे चिन्यालीसौड़ स्थित अस्पताल ले जाया गया है जहां उनकी जरूरी स्वास्थ्य जांच आदि की जाएंगी। साथ ही अवगत कराया कि श्रमिकों के परिजनों को भी फिलहाल चिन्यालीसौड़ ले जाया गया ।

जहां से उनकी सुविधा के अनुसार राज्य सरकार उनको घर छोड़ने की पूरी व्यवस्था करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन के चलते ही यह रेस्क्यू अभियान सफलतापूर्वक सफल हो सका है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियों व राज्य सरकार के समन्वय से हम 41 श्रमिकों को सकुशल सुरक्षित निकालने में कामयाब रहे हैं। Good News:

Uttarkashi Tunnel Accident: सुरंग की कैद में 17 स्याह दिन: कब-क्या हुआ

  • उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने की मुहिम आखिरकार रंग लाई। तारीखों के आईने में देखते हैं, कब क्या हुआ, जिसने करीब ढाई सप्ताह तक देश की सांसें रोक रखी थीं।
  • 12 नवंबर: उत्तरकाशी में चारधाम परियोजना के तहत निमार्णाधीन सिल्कयारा टनल पर सुबह करीब 5.30 बजे बड़ा हादसा हुआ। भूस्खलन के बाद भारी मात्रा में मलबा गिरने से वहां काम कर रहे 41 मजदूर सुरंग में कैद होकर रह गए। जिला प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू करते हुए सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए आॅक्सीजन, बिजली सप्लाई एवं एयर कंप्रेस्ड पाइप के जरिये खाद्य आपूर्ति शुरू कराई। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल और आईटीबीपी भी राहत एवं बचाव कार्यों से जुड़े।
  • 13 नवंबर: सुरंग में फंसे श्रमिकों से आॅक्सीजन की आपूर्ति करने वाली पाइप के जरिये संपर्क स्थापित किया गया। उधर से मजदूरों के सुरक्षित होने की सूचना दी गई। दोबारा मलबा गिरने के कारण 30 मीटर के क्षेत्र में जमा मलबा 60 मीटर तक फैलने से बचाव अभियान जटिल हो गया। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने घटनास्थल का दौरा किया।
  • 14 नवंबर: 800-900 मिलीमीटर व्यास वाले स्टील पाइप क्षैतिज (हॉरिजेंटल) खुदाई के लिए मशीन की मदद से मलबे में डालने के लिए सुरंग स्थल पर लाई गई। श्रमिकों के लिए भोजन, पानी, आॅक्सीजन, बिजली व दवाओं की आपूर्ति जारी। इन मजदूरों में से कुछ ने मितली व सिरदर्द की शिकायत की।
  • 15 नवंबर: पहली ड्रिलिंग मशीन से संतोषजनक काम नहीं होने पर एनएचआईडीसीएल ने अत्याधुनिक आॅगर मशीन की मांग की। जिसे दिल्ली से हवाई मार्ग से पहुंचाया गया।
  • 16 नवंबर: आॅस्ट्रेलिया के भू वैज्ञानिक डॉक्टर अर्नाल्ड मौके पर पहुंचे। काउंसिल व्हाइट एंड केस और इंटरनेशनल ट्यूनलिंग ऐंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स को अंडरग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग्स और ट्रांसपोर्ट रिस्क के शानदार और स्वतंत्र विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। अर्नोल्ड डिक्स दुनिया भर में कई परियोजनाओं के लिए विवाद निवारण बोर्ड और टेंडर इवैल्युएशन पैनल पर नियुक्तियाँ करते हैं। ड्रिलिंग मशीन एसेम्बल कर स्थापित किया गया। आधी रात के बाद काम शुरू।
  • 17 नवंबर: रातभर काम चलने के बाद मशीन द्वारा दोपहर तक 57 मीटर लंबे मलबे के जरिये लगभग 24 मीटर ड्रिल किया गया। चार एमएस पाइप डाले गए। पांचवां पाइप डालने के समय बाधा आने पर काम रुका। बचाव प्रयासों में मदद के लिए इंदौर से एक और अत्याधुनिक मशीन मंगाई गई। शाम में एनएचआईडीसीएल ने पांचवें पाइप डाले जाने के दौरान रिपोर्ट दी कि बड़ी दरार की आवाज सुनी गई। विशेषज्ञों ने आसपास के क्षेत्र में और भी भूस्खलन की चेतावनी दी, जिसके बाद आॅपरेशन निलंबित कर दिया गया।
  • 18 नवंबर: शनिवार को ड्रिलिंग शुरू नहीं हुई, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना था कि सुरंग के अंदर डीजल चलित 1750 हार्सपावर आॅगर मशीन से उत्पन्न कंपन के कारण अधिक मलबा गिर सकता है। इससे बचाव कर्मियों की जान को खतरा बताया गया। पूरे मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए वैकल्पिक तरीकों पर विचार शुरू किया। इसमें सुरंग के शीर्ष के माध्यम से उध्वार्कार ड्रिलिंग सहित एक साथ पांच निकासी योजनाओं पर काम करने का निर्णय लिया गया।
  • 19 नवंबर: ड्रिलिंग का काम निलंबित रहा। बचाव अभियान की समीक्षा के लिए पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना था कि विशालकाय मशीन के साथ क्षैतिज रूप से बोरिंग बेहतर विकल्प है। उन्होंने ढाई दिन के भीतर इससे सफलता मिलने की उम्मीद जताई।
  • 20 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को फोन कर बचाव कार्यों की ताजा स्थिति की जानकारी ली और सुरंग में फंसे मजदूरों का मनोबल बनाए रखने पर जोर दिया। बचाव दल ने मलबे के बीच 6 मंच चौड़ी पाइपलाइन बिछायी जिससे सुरंग में फंसे मजदूरों तक बड़ी मात्रा में भोजन और आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा सकी।
  • 21 नवंबर: टनल में डाले गए 6 इंच के पाइप से एक कैमरा अंदर डाला गया। आॅस्ट्रेलिया के भू वैज्ञानिक डॉक्टर अर्नाल्ड का बहुत बड़ा योगदान रहा। सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों का पहला वीडियो जारी किया गया। इस एंडोस्कोपिक कैमरे से श्रमिकों की तस्वीरें सामने आई। इन तस्वीरों के बाहर आने के बाद आॅस्ट्रेलिया के भू वैज्ञानिक डॉक्टर अर्नाल्ड ने बौखनाग देवता के मंदिर में मत्था टेका। साथ ही बचाव अभियान की यह कहते हुए तारीफ की कि सुरंग में फंसे श्रमिकों का मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने की बेहतर कोशिश की गई। एनएचआईडीसीएल ने रातोंरात सिल्कयारा की तरफ से क्षैतिज बोरिंग की फिर से शुरू की। प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री से फोन पर बचाव कार्यों की प्रगति की जानकारी ली।
  • 22 नवंबर: बड़ी संख्या में एम्बुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा गया। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में विशेष वार्ड तैयार कर 41 बिस्तरों की व्यवस्था की गई। इधर, 800 मिमी व्यास वाले स्टील पाइप की क्षैतिज ड्रिलिंग करीब 45 मीटर तक पहुंच गई। करीब 57 मीटर मलबे के विस्तार में से केवल 12 मीटर शेष बचे। मजदूरों को सुरक्षित निकालने की उम्मीदें परवान चढ़ी और शाम तक उनके बाहर निकलने की उम्मीद जताई गई। इस बीच ड्रिलिंग में बाधा आई, जब लोहे की छड़ें मशीन के रास्ते में आ गई।
  • 23 नवंबर: जिस लोहे की बाधा के कारण ड्रिलिंग में छह घंटे की देरी हुई, उसे सुबह हटा कर बचाव कार्य दोबारा शुरू किया गया लेकिन जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई थी, उसमें दरारें देखने के बाद बोरिंग फिर रोकनी पड़ी। घटनास्थल पर व्यापक स्तर पर एंबुलेंस, चिकित्साकर्मियों, राहतकर्मियों के साथ सुरंग से बाहर निकालने के बाद मजदूरों को जरूरत पड़ने पर एयरलिफ्ट कराने की भी व्यवस्था की गई। इसके लिए करीब में हेलीकॉप्टर उतारा गया।
  • 24 नवंबर: ड्रिलिंग के साथ-साथ बचाव कार्य मुकाम तक पहुंचने की तरफ बढ़ा। शाम तक मजदूरों के सुरंग से बाहर निकालने की उम्मीद जताई गई। जरूरत पड़ने पर एम्स ऋषिकेश में इन मजदूरों को लाने की व्यवस्था की गई।
    लेकिन शाम होते-होते श्रमिकों के बाहर आने की उम्मीद मायूसी में बदलती दिखी। सुरंग में ड्रिलिंग का काम एकबार फिर रोक दिया गया। दोबारा ड्रिलिंग शुरू होने के कुछ देर बाद ही आॅगर मशीन का बरमा धातु से टकराने के बाद बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस मशीन से आगे काम किया जाना संभव नहीं रह गया। मुहिम को यह झटका तब लगा, जब मशीन सुरंग में फंसे मजदूरों से महज 10 मीटर रह गई थी।
  • 25 नवंबर: दिनभर की उहापोह, सुरंग में फंसे मजदूरों व बाहर उनके परिजनों की भारी निराशा के बीच अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए उध्वार्कार और मैनुअल ड्रिलिंग सहित कुछ अन्य विकल्पों पर विचार चल रहा है। क्षतिग्रस्त आॅगर मशीन का क्षतिग्रस्त हिस्सा निकालने में सफलता मिली।
  • 26 नवंबर: बचावकर्मियों ने रविवार को सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के ऊपर पहाड़ी में मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की। सुरंग तक पहुंचने के लिए उन्हें 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग करनी थी। शाम तक, भारी ड्रिलिंग उपकरण लगभग 19.5 मीटर तक नीचे तक पहुंच गए।
  • 27 नवंबर: रैट-होल खनन विशेषज्ञ साइट पर पहुंचे। 12 रैट-होल खनिकों की एक टीम ने मलबे के अंतिम 10 से 12 मीटर के हिस्से के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग और उत्खनन की प्रक्रिया शुरू की। हालांकि खराब मौसम के कारण काम में बाधा पहुंचने की आशंका जताई गई, जिसे मौके पर मौजूद विशेषज्ञों ने खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर राज्य के मुख्यमंत्री से राहत बचाव कार्यों की जानकारी ली।
  • 28 नवंबर: मैनुअल ड्रिलिंग जारी रही, बचावकर्मियों ने सुरंग के अंदर 52 मीटर तक पाइप डाला, जिसमें 57 मीटर सफलता बिंदु था। मजदूरों के बाहर निकलने की संभावनाएं दिखने लगीं। दोपहर बाद करीब दो बजे सुंरग में खुदाई का काम पूरा हो गया। उसके बाद एनडीआरएफ की टीम 41 मजदूरों के पास पहुंची। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी मौके पर पहुंचे और सुरंग के अंदर गए।

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