Delhi : राष्ट्रपति मुर्मु ने डूरंड कप ट्रॉफियों को दिखाई हरी झंडी, फुटबॉल और सेना की साझी विरासत को किया सम्मानित

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Delhi : । देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को 134वें इंडियन ऑयल डूरंड कप की तीन प्रतिष्ठित ट्रॉफियों – डूरंड कप, प्रेसिडेंट्स कप और शिमला ट्रॉफी – को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति भवन खेल और सैन्य परंपरा के संगम का साक्षी बना। यह एशिया का सबसे पुराना और भारत का सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसकी ट्रॉफी यात्रा का उद्देश्य देश भर में फुटबॉल प्रेमियों के बीच उत्साह और जुड़ाव को बढ़ाना है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब राष्ट्रपति ने स्वयं इस प्रतीकात्मक समारोह का नेतृत्व किया है।

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🔹 राष्ट्रपति मुर्मु का संदेश: खेल, जुनून और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “फुटबॉल केवल एक खेल नहीं, बल्कि यह करोड़ों लोगों का जुनून है। यह रणनीति, सहनशक्ति और सामूहिक लक्ष्य की भावना का प्रतीक है। डूरंड कप जैसे आयोजन युवा खिलाड़ियों को एक पहचान और मंच प्रदान करते हैं।” उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इस विरासत को आगे बढ़ाने के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे देश की खेल संस्कृति और सैन्य परंपरा का अद्भुत संगम बताया।


🔹 पांच राज्यों की यात्रा पर रवाना हुई ट्रॉफियां

डूरंड कप की ये ट्रॉफियां अब पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, मेघालय और मणिपुर में आयोजित समारोहों के माध्यम से आम जनता से जुड़ेंगी।
इस वर्ष टूर्नामेंट 23 जुलाई से शुरू होकर 23 अगस्त को फाइनल मुकाबले के साथ संपन्न होगा।


🔹 सैन्य नेतृत्व और खिलाड़ियों की मौजूदगी ने बढ़ाया आयोजन का गौरव

इस ऐतिहासिक अवसर पर तीनों सेनाओं के प्रमुख –

  • थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी,

  • नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी,

  • वायुसेनाध्यक्ष एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह –
    मौजूद रहे।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा, “डूरंड कप बहादुरी, अनुशासन और एकता की वह विरासत है, जो हमारी सेनाओं और राष्ट्र के गौरव को दर्शाता है।”

पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने इसे भारत की विविधता में एकता, चरित्र निर्माण और अनुशासन का उत्सव बताया।

अर्जुन पुरस्कार विजेता फुटबॉलर संदेश झिंगन ने कहा, “डूरंड कप हमारे देश के खिलाड़ियों के सपनों का पहला पड़ाव है। यह केवल ट्रॉफी का अनावरण नहीं, बल्कि उस फुटबॉल विरासत को सम्मान देने का अवसर है जिसने भारतीय फुटबॉल को आकार दिया है।”

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