Authority News: इस सीईओ ने कर दी प्रॉपर्टी डीलरों की छुट्टी!
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Authority News: इस सीईओ ने कर दी प्रॉपर्टी डीलरों की छुट्टी!

 

Authority News:नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Noida-Greater Noida Authority) में सीईओ रितु महेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari) ने प्रॉपर्टी डीलरों की पूरी तरह छुट्टी कर दी है। हालांकि पहले प्रॉपर्टी डीलरों को प्राधिकरण से काम मिल जाता था मगर अब सभी कार्यों की प्रक्रिया ऑनलाइन करके उनके आने-जाने पर अंकुश लगाया गया। रही सही कसर ई ऑक्शन प्रणाली ने पूरी कर दी।

Authority News:दरअसल पहले लोग प्राधिकरण की स्कीम में प्लॉट अप्लाई करते थे। जिसके बाद ड्रॉ के माध्यम से उन लोगों को भूखंड दिए जाते थे। जिनकी किस्मत के सितारे बुलंद होते थे। प्राधिकरण से सस्ती दरों में भूखंड लेकर यह लोग या तो उसे खुद इस्तेमाल करते थे या फिर प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से उसे बेच देते थे। जिसके चलते प्रॉपर्टी डीलरों का भी धंधा काफी फल-फूल रहा था। लेकिन ई-ऑक्शन प्रणाली ने सीधे प्राधिकरण के खजाने को भरने का काम किया है।

Authority News: ई-ऑक्शन में केवल वही लोग आवेदन करते हैं जो लेने के इच्छुक हैं और अपना ही इस्तेमाल करना चाहते हैं। जिस तरह से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में औद्योगिक और आवासीय भूखंडों की स्कीम में लगातार लोग ऊंची बोली लगाकर लाखों रुपए वर्ग मीटर के हिसाब से जमीन खरीद रहे हैं। उससे एक बात तो तय है कि यह लोग जमीन का धंधा नहीं करेंगे बल्कि उसका खुद ही उपयोग करेंगे। कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने बाजार में बेचने के लिए भूखंड ऊंची बोली लगाकर ले लिए। लेकिन अब इन लोगों को यह भूखंड बाजार में बेचना टेढ़ी खीर साबित हो रही हैं।

इन बातों का रखे खयाल

इसका सबसे बड़ा कारण है पूरी तरह वाइट की पेमेंट होना। प्राधिकरण में किसी भी प्रकार से कैश में भुगतान नही हो सकता है। क्योंकि वाइट की पेमेंट से प्राधिकरण में कई तरह के खर्च और बढ़ जाते हैं। जैसे कि लीज रेंट सर्किल रेट के हिसाब से प्राधिकरण लेता है। नोएडा में औद्योगिक भूखंड की उसकी कुल कीमत का ढाई प्रतिशत प्रति वर्ष लिया जाता है, यदि वन टाइम लीज रेंट की बात करें तो इसे 15 से गुना करना होगा तो वन टाइम लीरेंट जमा हो जाएगा।

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ठीक इसी तरह आवासीय भूखंड के लिए भी है जिसमें कुल कीमत का 1 प्रतिशत और फिर वन टीम लीज रेंट कराने के लिए 15 साल का एक साथ देना होगा। ग्रेटर नोएडा की बात करें तो ग्रेटर नोएडा में 15 साल की बजाय वन टाइम लीज रेंट 10 साल का है। औद्योगिक भूखंड पर ढाई प्रतिशत कुल भूखंड की कीमत। जबकि आवासीय भूखंड के लिए यह 1 प्रतिशत है। उदाहरण के तौर पर यदि आप का भूखंड एक करोड़ की बोली में लेते है तो इसका लीज रेंट आवासीय भूखंड के लिए 10लाख होगा जबकि औद्योगिक भूखंड के लिए 25 लाख रुपए हो जाएगा। आप ई-ऑक्शन में प्लाॅट खरीदने के इच्छुक है तो इन सभी बातो का ध्यान भी रखें। इसके अलावा रजिस्टी कराने में भी करीब 8 प्रतिशत का खर्च आएगा। ये खर्च भूखण्ड की कीमत के हिसाब से ही तय होगा।

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