मुख्य चुनाव आयुक्त पर कांग्रेस ने दिखाया आडवाणी का लेटर, सरकार पर उठे सवाल
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका खत्म करने की मांग विपक्ष लगातार कर रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आज यानी शुक्रवार को तत्कालीन भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए 2012 के एक पत्र को साझा किया, जिसमें ऐसी नियुक्तियों के लिए व्यापक आधार वाले कॉलेजियम का सुझाव बताया गया था। इस लेटर में आडवाणी ने मांग की थी कि सीईसी और अन्य सदस्यों की नियुक्ति पांच सदस्यीय पैनल या कॉलेजियम द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें पीएम, भारत के मुख्य न्यायाधीश, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता और कानून मंत्री शामिल हों।
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आडवाणी ने दो जून, 2012 को पत्र में लिखा था कि मौजूदा प्रणाली, जिसमें चुनाव आयोग के सदस्यों को केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, जनता में विश्वास पैदा नहीं करता है। इस पर उस समय सरकार सभी राजनीतिक दलों की राय लेने के लिए तैयार थी। मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह चुनाव सुधारों के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में बदलाव के लिए तैयार हैं।
सुधारों पर सीपीआई नेता गुरुदास दासगुप्ता के एक पत्र का जवाब देते हुए, सिंह ने कहा था कि मैं यह बताना चाहूंगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, इस्तीफे तथा हटाने की प्रक्रिया सरकार द्वारा निर्धारित की गई है। यह लंबे समय से अस्तित्व में है। उन्होंने कहा था कि प्रक्रिया में किसी भी बदलाव के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ विस्तार से चर्चा की आवश्यकता होगी।